- सोमवार से होगी मां दुर्गा कलश स्थापना, पूरे नो दिन रहेगी शारदीय नवरात्रि

ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। 26 सितंबर से शक्ति आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होने जा रहा है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि शारदीय नवरात्रि पर देवी दुर्गा की पूजा और साधना की जाती है। इसके अलावा देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। मां दुर्गा के भक्त इन नौ दिनों में उपवास रखते हुए मां शक्ति की साधना करते हैं।

26 को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 27 सितंबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट पर किया जा सकता है।

नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कैसे करें

- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। ये प्रतिपदा के दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से की जाती है।

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

- सप्त धान्य, चौड़े मुंह का मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र मिट्टी, कलश, जल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, साबुत चावल, जौ, लाल वस्त्र, पुष्प। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है। जहां घट स्थापित करना है वहां एक चौकी रख कर उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं और फिर उस पर दुर्गा मां की तस्वीर या मूर्ति रखे। इस मूर्ति के दाहिनी ओर गंगा जल छिड़क कर, मिट्टी के पात्र में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।

- तांबे या पीतल का कलश भी स्थापित किया जाता है। कलश में गंगा जल भरें और इसमें आम के पत्ते, सुपारी, हल्दी की गांठ, दुर्वा, पैसे और आम के पत्ते डालें। कलश पर मौली बांधे, उसके बाद पत्तों के बीच मौली बंधा नारियल रखें। दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित करके दीप जलाकर पूजा करें। यदि कलश के ऊपर ढक्कन लगाना है तो ढक्कन में चावल भर दें और यदि कलश खुला है तो उसमें आम के पत्ते रखें। कलश पर मौली बांधे, उसके बाद पत्तों के बीच मौली बंधा नारियल रखें। दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित करके दीप जलाकर पूजा करें। अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि 'हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।' आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें। अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि 'हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।'