
बिजनेस डेस्क। केंद्र सरकार जल्द ही एक बड़े टैक्स रिफॉर्म की दिशा में कदम बढ़ाने वाली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि 2025 में प्रस्तावित नया ‘हेल्थ और नेशनल सिक्योरिटी सेस’ (The Health Security se National Security Cess Bill, 2025) केवल पान मसाला, गुटखा और सिगरेट जैसे डिमेरिट गुड्स पर ही लागू होगा। दाल, चावल, आटा या तेल जैसी रोजमर्रा की चीजों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
सीतारमण के अनुसार, ‘द हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025’ का उद्देश्य स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कार्यक्रमों के लिए एक स्थायी फंड तैयार करना है। सरकार चाहती है कि ऐसे उत्पादों पर टैक्स बढ़ाया जाए जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं, ताकि उनकी खपत कम हो और राज्यों को अतिरिक्त राजस्व मिल सके।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस बिल का सीधा असर पान मसाला, गुटखा और सिगरेट जैसे उत्पादों पर पड़ेगा। अभी इन पर 28% GST और सेस मिलकर करीब 40% टैक्स लगता है। लेकिन उत्पादन स्तर पर टैक्स लागू करने में दिक्कत थी, क्योंकि पान मसाला एक्साइसेबल कैटेगरी में शामिल नहीं है। नया सेस इस कमी को दूर करेगा और उत्पादन पर भी टैक्स लग सकेगा।
सीतारमण ने बताया कि पान मसाला पर फिलहाल GST खपत के आधार पर लगाया जाता है, न कि उत्पादन पर। सिगरेट की तरह उस पर एक्साइज ड्यूटी लगाना संभव नहीं था। इसीलिए सरकार एक ऐसा सेस लाना चाहती है जो GST के साथ समानांतर चले, और जिसका एक हिस्सा सीधे राज्यों को मिले, जिससे वे स्वास्थ्य योजनाओं पर और अधिक राशि खर्च कर सकें।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी टैक्स दरों में तुरंत कोई बदलाव नहीं होगा। लेकिन पान मसाला को उत्पादन-आधारित टैक्स दायरे में लाने के बाद भविष्य में टैक्स बढ़ाना आसान हो जाएगा। ऐसे में आने वाले बजट या नई हेल्थ पॉलिसियों में इन उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
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सरकार इसे हेल्थ-बेस्ड टैक्सेशन स्ट्रैटेजी का हिस्सा बता रही है
वित्त मंत्री ने कहा कि “पान मसाला स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। कीमत बढ़ेगी तो खपत कम होगी।” नया सेस लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों दोनों को फायदा होगा, और टैक्स सिस्टम में किसी तरह का टकराव भी नहीं उत्पन्न होगा।
SOURCE- SANSAD TV