भारतीय बैंकों के रिस्‍क पर संबंधी खबरों पर आज आरबीआई ने स्‍पष्‍टीकरण जारी किया है। समाचार एजेंसी एएनआई ने आरबीआई के हवाले से बताया कि ऐसी मीडिया रिपोर्टें आई हैं जिनमें एक व्यापारिक समूह के लिए भारतीय बैंकों के जोखिम के बारे में चिंता व्यक्त की गई है। नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में, आरबीआई वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए बैंकिंग क्षेत्र और व्यक्तिगत बैंकों पर निरंतर निगरानी रखता है। बैंकिंग क्षेत्र के स्वास्थ्य पर आरबीआई ने यह भी कहा कि RBI के पास बड़े क्रेडिट (CRILC) डेटाबेस सिस्टम पर सूचना का एक केंद्रीय भंडार है जहाँ बैंक 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के अपने जोखिम की रिपोर्ट करते हैं जिसका उपयोग निगरानी उद्देश्यों के लिए किया जाता है। वर्तमान आकलन के अनुसार, बैंकिंग क्षेत्र लचीला और स्थिर बना हुआ है। पूंजी पर्याप्तता, संपत्ति की गुणवत्ता, तरलता, प्रावधान कवरेज और लाभप्रदता से संबंधित विभिन्न पैरामीटर स्वस्थ हैं। बैंक भी बड़े एक्सपोजर फ्रेमवर्क दिशानिर्देशों के अनुपालन में हैं।

वित्त मंत्री ने दी प्रतिक्रिया

अदाणी-हिडनबर्ग विवाद को लेकर पहली बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी। कहा- भारत का वित्तीय सेक्टर बहुत ही अच्छे तरीके से नियामक द्वारा नियंत्रित होता है और इस विवाद से निवेशकों के भरोसे पर कोई असर पड़ेगा। किसी एक विवाद से कोई असर नहीं पड़ता है, भले ही वैश्विक स्तर पर इसकी कितनी ही चर्चा हो। अदाणी समूह को बैंकों की तरफ से निर्धारित सीमा में लोन दिए गए हैं और समूह के कुल मूल्य में गिरावट के बावजूद वित्तीय संस्थाओं के स्टाक लाभ में है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी वित्तीय संस्थाओं ने अदाणी समूह को दिए लोन को लेकर बयान दिए हैं कि अदाणी के शेयर टूटने से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एसबीआइ और एलआइसी के मुखियाओं ने खुद सामने आकर बताया है कि कैसे उन्होंने सीमा से अधिक लोन नहीं दिया है और वे अब भी लाभ में हैं।

Posted By: Navodit Saktawat

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