अंबिकापुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। छत्तीसगढ़ सड़क विकास निगम (सीजीआरडीसी) ने सरगुजा से अपना कामकाज समेट लिया है। अब मुश्किल में नगर निगम प्रशासन फंस गया है।11 किलोमीटर रिंग रोड का निर्माण सीजीआरडीसी ने कराया है। सड़क अभी निर्माण एजेंसी के अधीन संधारण अवधि में ही है। अब न तो यहां सीजीआरडीसी का कार्यालय है और न ही अधिकारी।

समूचे रिंगरोड में दर्जनों सड़क बत्ती खराब हो चुकी है।सड़क पर भी कई स्थानों पर मरम्मत की आवश्यकता है लेकिन सीजीआरडीसी द्वारा कामकाज समेट लेने से नगर निगम की परेशानी बढ़ गई है।रिंग रोड पर अंधेरे के लिए लोग निगम को जिम्मेदार मानते है जबकि नगर निगम से फिलहाल इसका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है।

नगर निगम के अधिकारी सीजीआरडीसी से समन्वय स्थापित कर गारंटी अवधि के लिए शेष बची राशि की मांग कर रहे हैं लेकिन सड़क विकास निगम कोई पहल नहीं कर रहा है।रिंग रोड के संधारण और सड़क बत्ती का अतिरिक्त बोझ भी नगर निगम पर आ गया है।

अंबिकापुर शहर के 11 किलोमीटर रिंग रोड का निर्माण छत्तीसगढ़ सड़क विकास निगम सीजीआरडीसी द्वारा किया गया है। सीजीआरडीसी द्वारा ठेका कंपनी के माध्यम से यह कार्य पूर्ण कराया गया है लेकिन मूल ठेकेदार ने भी पेटी कांट्रेक्टर के माध्यम से इस काम को पूरा कराया है। यह सड़क अभी गारंटी अवधि में है।

इसका सीधा आशय है कि सड़क मरम्मत और सड़क बत्ती की व्यवस्था सीजीआरडीसी को ही करनी है।सरगुजा में अंबिकापुर के रिंग रोड के अलावा दूसरे कार्य पूर्ण हो जाने के कारण सीजीआरडीसी ने सारा कामकाज समेट लिया है। अंबिकापुर का कार्यालय बंद हो चुका है। यहां पदस्थ अधिकारी,कर्मचारी रायपुर मुख्यालय कार्यालय में संलग्न कर दिए गए हैं।

ऐसे में रिंग रोड की सारी व्यवस्था की जवाबदारी नगर निगम पर आन पड़ी है। नियमों के तहत यह काम सीजीआरडीसी को ही करना था लेकिन शहर के भीतर सड़क होने के कारण लोग यह समझते हैं कि यह काम नगर निगम को करना है। वर्तमान समय में रिंग रोड पर दर्जनों सड़क बत्ती खराब पड़े हैं।

शाम होते ही रिंग रोड के अधिकांश हिस्से में अंधेरा छा जाता है। शहरवासी नगर निगम को कोसते हैं। नगर निगम भी उपलब्ध सुविधाओं और संसाधनों के आधार पर सुधार कार्य करा रहा है लेकिन यह काम अतिरिक्त बोझ के रूप में नगर निगम के पास आ पड़ा है।

निगम के प्रस्ताव पर नहीं हुआ कोई निर्णय

नगर निगम के अधिकारियों द्वारा रिंग रोड पर सड़क बत्ती सहित समय-समय पर दूसरे सुधार के कार्य कराने के लिए अपनी ओर से पहल की थी। इसके लिए सीजीआरडीसी के अधिकारियों के समक्ष प्रस्ताव रखा गया था कि उनके पास रिंग रोड सड़क निर्माण के बाद गारंटी अवधि के लिए जो भी राशि बची हुई है उसे नगर निगम को अंतरित कर दी जाए ताकि नगर निगम उस राशि से रिंग रोड पर सड़क बत्ती, जल निकासी सहित दूसरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करा सके लेकिन अंबिकापुर से कार्यालय शिफ्ट हो जाने के बाद सीजीआरडीसी के अधिकारियों ने नगर निगम के प्रस्ताव पर अभी तक कोई पहल नहीं की है।

जिला प्रशासन ने की पहल, सीजीआरडीसी के अधिकारियों को पत्र

रिंग रोड पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था करने के अलावा दूसरी कमियों को दूर करने के लिए अब जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप किया है। खबर है कि सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार ने रिंग रोड की आवश्यकताओं की पूर्ति को लेकर सीजीआरडीसी के प्रबंध संचालक व सरगुजा के पूर्व कलेक्टर डा सारांश मित्तर को पत्र लिखा है।

सरगुजा कलेक्टर ने गारंटी अवधि वाले रिंग रोड में सड़क बत्ती की समुचित व्यवस्था करने के साथ ही समय-समय पर यहां सुधार की पड़ने वाली जरूरतों को लेकर ध्यान आकृष्ट कराया है। जिला और नगर निगम प्रशासन का प्रयास है कि नियमों के तहत सीजीआरडीसी के पास जो राशि शेष बची है उसे नगर निगम को अंतरित कर दिया जाए ताकि नगर निगम प्रशासन द्वारा 11 किलोमीटर रिंग रोड में समुचित प्रकाश की व्यवस्था की जा सके। रिंग रोड पर अंधेरा होने के कारण आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

प्रयास है कि निगम को उपलब्ध हो जाए राशि :आयुक्त

नगर निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगाई का कहना है कि रिंग रोड अभी गारंटी अवधि में है। छत्तीसगढ़ सड़क विकास निगम द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। नियमों के तहत सड़क निर्माण कराने वाली निर्माण एजेंसी रिंग रोड पर सड़क बत्ती सहित सभी प्रकार के कार्यों के लिए अपना पूरा अधिकार रखती है।

चूंकि सीजीआरडीसी ने अंबिकापुर का कार्यालय बंद कर यहां के अधिकारी, कर्मचारियों को रायपुर संलग्न कर दिया है इसलिए हमने उनसे आग्रह किया है कि सड़क बत्ती सहित दूसरी कमियों को दूर करने के लिए जो भी राशि का प्रावधान किया गया हो उसे नगर निगम को अंतरित कर दिया जाए ताकि कमियों को दूर किया जा सके। उन्होंने बताया कि रिंग रोड निर्माण का ठेका प्राप्त करने वाली कंपनी ने पेटी कांट्रेक्टर के माध्यम से कार्य कराया था इसलिए भी थोड़ी दिक्कत है क्योंकि जवाबदारी तय नहीं हो पाती।

Posted By: Manoj Kumar Tiwari

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