अंबिकापुर । नईदुनिया प्रतिनिधि
सरगुजा जिले में धान के बाद सर्वाधिक रकबे पर मक्के की फसल ली जा रही है, पर अब इस पर खतरनाक फाल आर्मी वर्म का खतरा मंडराने लगा है। इस कीट की प्रारंभिक रोकथाम एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन तरीके से नहीं हुआ तो भारी तबाही मचेगी। इसकी शुरुआत भी जिले में हो गई है। मक्का लगाने वाले किसान अब परेशान होने लगे हैं। इस खतरनाक कीट के आक्रमण की रिपोर्ट केन्द्र तक पहुंच चुकी है। ऐसे में केन्द्रीय एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन केन्द्र रायपुर की टीम सरगुजा पहुंच चुकी है। पहले दिन टीम ने जिले के अंबिकापुर, मैनपाट, बतौली व लुण्ड्रा क्षेत्र में किसानों के खेतों में पहुंच फसल का जायजा लिया तो बड़े पैमाने पर फाल आर्मी वर्म का प्रकोप नजर आया। मौके पर किसानों को रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग छोड़कर एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन के तरीके बताए गए।
पूरे छत्तीसगढ़ में पिछले एक-दो सालों में ही मक्के में फाल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप तेजी से फैलने लगा है। एक वर्ष पूर्व तक यह कीट सरगुजा में नजर नहीं आ रहा था पर अचानक इसका प्रकोप बढ़ गया है। लिहाजा केन्द्रीय एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन केन्द्र रायपुर, कृषि विज्ञान केन्द्र अजिरमा व कृषि विभाग की टीम ने इसकी जानकारी किसानों को देनी शुरू कर दी है ताकि किसान प्रारंभिक अवस्था में ही इस पर नजर रखें और रोकथाम के प्रारंभिक उपाए भी शुरू कर दें। बुधवार को केन्द्रीय एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन केन्द्र रायपुर से प्रमुख सहायक निदेशक सीएस नाइक, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी सचिन भगत, अतुल गावंडे, आरके मौर्य, कृषि विभाग के आरबी सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र के सूर्यप्रकाश गुप्ता की एक संयुक्त टीम अंबिकापुर, मैनपाट, बतौली, लुण्ड्रा इलाके में पहुंची। यहां टीम ने किसानों के खेतों में पहुंच फाल आर्मी वर्म की जानकारी किसानों को दी। मक्के के गभोट में छुपकर आक्रमण कर रहे इस खतरनाक कीट को जब किसानों को दिखाया गया तो सरगुजिहा किसान भी दंग रह गए। किसानों को पता ही नहीं था कि यह कीट उनके फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहा है। किसानों को प्रबंधन की सलाह दिए गए हैं ताकि इसका रोकथाम तेजी से हो सके। टीम को उक्त सभी जगह फाल आर्मी वर्म मक्के में लगा नजर आया है इसको लेकर पूरी टीम भी सकते में है। यदि किसानों में इसको लेकर जागरुकता नहीं आई तो सरगुजा के किसानों को मक्के की फसल से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
किसानों को नियमित करनी होगी निगरानी
केन्द्रीय एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन केन्द्र भारत सरकार टीम के सदस्य सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी सचिन भगत व केवीके के सूर्यप्रकाश गुप्ता ने बताया कि किसानों को नियमित निगरानी रखनी होगी। अंडे व इल्लियों को शुरुआती अवस्था में ही नष्ट करना पड़ेगा। इसके लिए रसायनिक दवाइयों का उपयोग अंतिम विकल्प है। प्रारंभिक अवस्था में एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन ही उपाए है। इसके लिए खेतों की गहरी जोताई, प्रारंभिक अवस्था में नीम के अर्क का छिड़काव, रेत व चूने के मिश्रण का छिड़काव मक्के के गभोट में किया जाना चाहिए। इसके अलावे फिरोमैन ट्रैप प्रति एकड़ पांच ट्रैप लगाना चाहिए। प्रकाश प्रपंच भी इसके रोकथाम का प्रमुख उपाए है। मित्र कीटों का संरक्षण भी लाभकारी साबित होगा। बताया गया कि यदि अभी कंट्रोल नहीं हुआ तो तेजी से यह कीट अटैक करेगा जिससे पूरी फसल नष्ट हो जाएगी।
इन बातों का रखना होगा ध्यान
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मक्के में इस कीट का प्रकोप दो से तीन पत्तियों की अवस्था में यानि फसल बोवाई से 12 से 15 दिन के भीतर आरंभ हो जाता है। इसके लिए जरुरी है सतत निगरानी। पत्तियों पर सफेद चित्तीदार धब्बे दिखाई देते हैं,जो कीट की उपस्थिति का संकेत है। जिस भूमि पर मक्का लगा रहे हैं वह खरपतवार मुक्त होना चाहिए।
अध्ययन दल तैयार कर रहा खाका
केन्द्रीय एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन केन्द्र रायपुर की टीम द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ जिले के उन इलाकों में अध्ययन किया जा रहा है जहां इसका प्रकोप अधिक होने की संभावना है। जहां-जहां फाल आर्मी वर्म तबाही मचा रहा है वहां कृषि वैज्ञानिक व कीटों के जानकार पहुंच रहे हैं। बताया जाता है अमेरिका, अफ्रीका, श्रीलंका के कीट वैज्ञानिक भी इस पर अध्ययन कर रहे हैं और इसके निपटान का खाका तैयार कर रहे हैं। कृृषि वैज्ञानिकों की मानें तो किसान यदि जागरुक नहीं हुए तो यह वर्म भारी तबाही मचाने वाला साबित होगा।
Posted By: Nai Dunia News Network