सूरजपुर(नईदुनिया न्यूज)। जिले के अस्पतालों में किस कदर अव्यवस्था का आलम है और कैसे चिकित्सक लापरवाह है, इसका उदाहरण ओड़गी ब्लाक मुख्यालय में देखने को मिला। यहां एक बारह वर्ष की बालिका की जांघ में साइकिल के ब्रेक का राड फंसा हुआ था, लेकिन अस्पताल में एक सप्ताह तक पीड़ित बालिका का साधारण चोट का इलाज किया जाता रहा और बालिका की जब जान पर बन आई, तो उसे अम्बिकापुर ले जाया गया। जहां एक्सरे रिपोर्ट देख कर न केवल वहां डाक्टर हैरत में थे, बल्कि इलाज करने वाले डाक्टर की समझ पर भी हैरान थे।
मामला ग्राम धुर का है। सुनीता सारथी की पुत्री 12 वर्षीय परी सिंह 29 अप्रैल साइकिल से जाते समय गिर गई थी। इस हादसे में बच्ची के जांघ में न केवल चोटें आई, बल्कि साइकिल के ब्रेक का राड टूट कर अंदर फंस गया। आनन फानन में उसे ओड़गी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जहां एक चिकित्सक ने देखा और उस जगह टांका लगा दिया। जिससे वह रॉड फंस गया। करीब 15 दिन तक बालिका को दर्द की दवा और मलहम, इंजेक्शन यह कह कर दिया जाता रहा कि वह जल्दी ठीक हो जाएगी। हालत बिगड़ने पर उसे अंबिकापुर के एक निजी क्लीनिक में एक्सरे कराया, तो जांच में राड ब्रेकर फंसा देख उनके होश उड़ गए। उसे तत्काल मेडिकल कालेज ले जाया गया। जहाँ चार दिनों तक इलाज कर जांघ से राड निकाला गया तब कहीं जाकर बालिका की जान बची। मेडिकल कालेज के डाक्टरों के अनुसार अगर शीघ्र ध्यान नही दिया जाता, तो बालिका की जान बचाने पैर काटना पड़ सकता था। डाक्टरों ने ओड़गी में इलाज करने वाले चिकित्सक की समझ पर हैरानी जताई है। पीड़ित बालिका के स्वजन ने इसकी शिकायत जिला अस्पताल के सीएमएचओ से करते हुए लापरवाह डाक्टर व जिम्मेदार नर्सों पर कार्रवाई की मांग की है।
शिकायत पर चिकित्सक को बुलाकर फटकार लगाई गई है। साथ ही उनके खिलाफ नोटिस जारी किया जा रहा है। कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी।
डा़ आरएस सिंह सीएमएचओ, सूरजपुर
Posted By: Yogeshwar Sharma