अंबिकापुर।(नईदुनिया प्रतिनिधि)। मौसम साफ होते ही एक बार फिर सरगुजा में ठंड तेज होने का अनुमान है।गुरुवार की सुबह आठ बजे तक कोहरा छाया हुआ था। शहर के आसपास के इलाकों में कोहरा और हवा एक साथ होने के कारण लोगों को कड़ाके की ठंड महसूस हुई। लोग अलाव जलाकर हाथ पैर सेकते नजर आए। ठिठुरन अचानक बढ़ गई, धूप निकली तो लोग धूप में बैठे नजर आ रहे हैं। इधर अब दिसंबर माह लग चुका है।सरगुजा में दिसंबर और जनवरी माह में सर्वाधिक ठंड पड़ती है। इसका एहसास भी पहले दिन हो गया है मौसम में सुबह 80 फीसद से अधिक नमी निरंतर रहने का अनुमान है।
स्कूलों के लगने का समय भी बढ़ा दिया गया है। मौसम विभाग ने जो जानकारी दी है उसमें नवंबर माह में 1995 के बाद पहली बार तापमान 10 डिग्री से नीचे लगातार बना रहा। माह में कुछ दिन तापमान 12 डिग्री तक न्यूनतम रहा। अधिकतम तापमान भी 24 से 27 डिग्री पर स्थिर रहा।इस वर्ष नवंबर माह में अंबिकापुर नगर का अधिकतम तापमान 22.4 डिग्री से 27.4 डिग्री के बीच रहा अर्थात अधिकतम तापमान का मासिक अधिकतम मान 27.4 डिग्री छह नवंबर और अधिकतम तापमान का न्यूनतम मान 22.4 डिग्री 21 नवंबर को रहा।नवंबर में नगर का औसत अधिकतम तापमान 26.3डिग्री की तुलना में इस वर्ष मासिक औसत न्यूनतम 25 डिग्री रहा जो पिछले नौ वर्षों में सबसे कम रहा।
पिछले 52 वर्षों में सबसे गर्म दिनों वाला नवंबर माह औसत 30.2डिग्री के साथ सन 1979 का वर्ष था तथा
पिछले 52 वर्षों में सबसे ठंडे दिनों वाला नवंबर औसत 24.5डिग्री के साथ सन 1995 का वर्ष था।पिछले कुछ वर्षों का नवंबर माह का औसत अधिकतम तापमान
2012 - 24.6
2013 - 25.0
2014 - 26.0
2015 - 27.1
2016 - 25.9
2017 - 25.6
2018 - 26.9
2019 - 25.9
2020 - 26.3
2021 - 26.3
2022 - 25.0
दो माह रहेगी तेज ठंड-
मौसम विज्ञानी एएम भट्ट ने बताया कि उत्तर छत्तीसगढ़ में दिसंबर और जनवरी माह में कड़ाके की ठंड पड़ती है। इस दौरान घना कोहरा छाने और विक्षोभ के कारण बादल भी आ सकते हैं जिससे तापमान गिरता है। कोहरा और बादल फटने के बाद तापमान में एकाएक गिरावट आती है और हिमालयन क्षेत्र से बर्फीली हवा चलने के कारण उत्तर छत्तीसगढ़ में तापमान पांच से भी कम पहुंच जाता है। पाट इलाके में जलजमाव की स्थिति भी बन सकती है।लोगों को इन दो माह में अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत भी पड़ेगी।
इस वर्ष नवंबर माह में नहीं हुई वर्षा-
नवंबर माह में इस बार नगर में औसत 12.5 मिमी की वर्षा की तुलना में इस वर्ष नवंबर बिना किसी व्यवधान के शून्य वर्षा के साथ बीत गया।अमूमन अक्टूबर के बाद उत्तर- मध्य और पूर्वी भारत में वायुमंडल शांत रहता है। इस समय हवा की दिशा के प्रतिचक्रण से समुद्री तरंगे पूरी तरह से दक्षिण भारत की ओर केंद्रित हो जाती हैं। यहां हवा की आवक मूलतः उत्तरी होने से तथा सूर्य के भूमध्य रेखा से दक्षिण की ओर प्रभावी होने से यहां का तापमान क्रमशः कम होता जाता है। कुछ समुद्री या पछुआ के व्यवधान ही सक्रिय हो पाते हैं जिनसे तापमान में लघु अवधि का उछाल और वर्षा संभव हो पाता है जो इस वर्ष नहीं देखा गया।नवंबर में सर्वाधिक वर्षा का रिकार्ड 89.6 मिमी के साथ 1997 का वर्ष रहा है। हालांकि पिछले 52 वर्षों में 22 वर्षों में शून्य वर्षा और 14 वर्षों में 10 मिमी से कम की मामूली वर्षा दर्ज की गई है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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