अंबिकापुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। विकास पथ पर अग्रसर अंबिकापुर शहर को नए बाइपास की नितांत आवश्यकता है।सिर्फ शहरवासी ही नहीं जनप्रतिनिधि भी मानते है कि अब सिर्फ रिंग रोड से काम नहीं चलने वाला है। रिंग रोड पर बड़े-बड़े शोरूम और व्यावसायिक कांप्लेक्स खुल चुके हैं। रिंग रोड घनी आबादी वाला व्यावसायिक क्षेत्र बन चुका है। यह नाम का रिंग रोड रह गया है, जबकि यह सड़क आज की परिस्थिति में वास्तव में शहर की एक भीतरी सड़क बन चुकी है। इसी सड़क से अंतरराज्यीय परिवहन में लगे मालवाहको का भी आना जाना होता है, जिस तरीके से शहर का विकास हो रहा है उसे देखते हुए नया बाइपास अंबिकापुर शहर की भविष्य की जरूरत है।
यदि आज इस पर सार्थक प्रयास नहीं हुआ तो आने वाले समय में परेशानी ज्यादा बढ़ सकती है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास विभाग द्वारा शहर के एक ओर बाइपास निर्माण का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन यह भी अधर में लटका हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग की परियोजना को मंजूरी नहीं मिली तो स्थानीय स्तर की जरूरत को देखते हुए राज्य शासन स्तर पर इसके लिए प्रयास करना बेहद जरूरी है। अंबिकापुर शहर को बसते और विकसित होते देख चुके बुजुर्गों के साथ राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त आयोग व मंडल के अध्यक्ष भी अब इसे स्वीकार करने लगे हैं कि अंबिकापुर शहर को तत्काल नए बाइपास की जरूरत है इसके लिए वे अपने स्तर से पहल भी कर रहे हैं। शासन स्तर पर चर्चा भी शुरू हो चुकी है। समय-समय पर वे विभागीय मंत्रियों और उच्चाधिकारियों से भी अंबिकापुर शहर की भविष्य की जरूरत बाइपास के लिए चर्चा कर रहे हैं। जनप्रतिनिधियों को उम्मीद है कि आने वाले समय में अंबिकापुर शहर को नए बाइपास की सौगात जरूर मिलेगी।
राज्य सरकार भी इसके लिए गंभीर है। नए बाइपास की जरूरत इसलिए भी है कि रिंग रोड पर ही शहर के सारे प्रमुख चौक- चौराहे स्थित है इन्हीं चौक चौराहों से होकर शहरवासियों का भी आना जाना होता है। रिंग रोड जिस दौर में बना था उस समय वह शहर का बाहरी सड़क ही था लेकिन अब यह शहर के भीतर आ चुकी है क्योंकि रिंग रोड के दूसरी ओर भी कई नई कालोनियां, नया बाजार और मोहल्ले विकसित हो गए हैं।घनी आबादी का क्षेत्र है। रिंग रोड के दूसरी ओर ही नगर निगम के 25 फीसद से अधिक वार्ड स्थित है।इन वार्डों के लोगों को रिंग रोड को पार कर ही घर से आना-जाना पड़ता है।
Posted By: Yogeshwar Sharma
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