
नईदुनिया न्यूज़, बालोद। जिले से बड़ी खबर निकल के सामने आई है, जहां लाल पानी से प्रभावित 200 से अधिक आंदोलनकारियों किसानों पर एफ़आईआर दर्ज की गई है। इसमें 3 सरपंच, 1 पूर्व सरपंच सहित किसान नेता भी शामिल हैं। दरअसल भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) के अंतर्गत संचालित महामाया खदान के पास लाल पानी प्रभावित क्षेत्र के किसानों का चल रहा आंदोलन अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। खदान क्षेत्र से लौह अयस्क परिवहन ठप्प होने के बाद बीएसपी (सेल) प्रबंधन ने आंदोलनकारियों आदिवासी ग्रामीण किसानों के खिलाफ महामाया थाना में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई हैं। जिसके बाद पुलिस ने ग्रामीण नेताओं और 200 से अधिक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की है।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, यह मामला एफ़आईआर क्रमांक 0007/25, थाना महामाया, जिला बालोद में 24 अक्टूबर की रात 8 बजकर 31 मिनट पर दर्ज किया गया हैं। दर्ज एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराएँ 126(2), 190 और 3(5) लगाई गई हैं।
महामाया-दुलकी-कलवर खदान, सेल भिलाई इस्पात संयंत्र के महाप्रबंधक अरुण कुमार पिता दिनेश राय द्वारा की गई शिकायत अनुसार 16 अक्टूबर से महामाया के पास स्कूल क्रमांक-2 पर कुमुड़कट्टा, कोपेडेरा व नलकसा के ग्रामीण लाल पानी से प्रभावित किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर सड़कजाम कर रहे हैं, इस आंदोलन के कारण प्रतिदिन लगभग 7 हजार टन लौह अयस्क का परिवहन बाधित हो रहा है, जिससे संयंत्र के कार्यों और राज्य सरकार की रॉयल्टी आय पर प्रभाव पड़ा है।
महाप्रबंधक अरुण राय की शिकायत पर महामाया पुलिस ने स्थानीय बेरोजगार के अध्यक्ष चैन सिंह टेकाम, ग्राम पंचायत कुमुडकट्टा के सरपंच डोमेन्द्र कुमार, ग्राम पंचायत कोपेडेरा के सरपंच मुकेश कुमार तेता, ग्राम पंचायत नलकसा के सरपंच हेमू टेकाम और नलकसा के पूर्व सरपंच लखन टेकाम सहित कुमुडकट्टा, नलकसा, कोपेडेरा, गांव के 200–250 प्रदर्शनकारी आदिवासी ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया हैं।
गौरतलब है कि ग्रामीण 16 अक्टूबर से महामाया चौक पर सड़कजाम कर आंदोलन कर रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगें हैं लाल पानी से प्रभावित किसानों और स्थानीय युवाओं को रोजगार का लाभ दिया जाए। बीते दिनों प्रशासन और बीएसपी अधिकारियों ने आंदोलनकारियों से वार्ता कर समाधान की कोशिश भी की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका।
शुक्रवार को भी बीएसपी प्रबंधन ने बातचीत कर इस मसले का हल निकालने की कोशिश की, लेकिन कोई बात नही बन पाई। इस बीच दीपावली पर्व पर भी ग्रामीणों ने धरना स्थल पर दीप जलाकर और पूजा-अर्चना कर त्योहार मनाया, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं किया।
आंदोलनकारियों ने दोहराया कि जब तक उनकी मांगें लिखित रूप में स्वीकार नहीं होतीं, वे पीछे नहीं हटेंगे। अब एफआईआर दर्ज होने से आंदोलन और प्रशासनिक कार्रवाई दोनों समानांतर रूप से तेज हो गई हैं।
प्रशासन ने हालात पर करीबी नजर रखी है, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तब तक वे शांति और संयम से अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बावजूद ग्रामीण दिनरात लगातार आन्दोलन पर डटे हुए हैं, बहरहाल देखना होगा पूरे मामले को लेकर प्रशासन आगे और किस तरह का रुख अख्तियार करती हैं।
जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्र के कांग्रेसी नेता मिथलेश नुरेटी ने कहा कि बीएसपी प्रबंधन आदिवासी ग्रामीण किसानों की आवाज को एफ़आईआर दर्ज कर दबाना चाहती है, लेकिन हम दबने वाले नहीं हैं। जब तक ग्रामीण किसानों की मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक यह आंदोलन निरंतर जारी रहेगा।
मांग पूरी नही होने तक लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री काबिज हैं बावजूद आदिवासी ग्रामीण किसानों की मांग को अनदेखी कर उन पर एफआईआर दर्ज किया जा रहा है। उनको आवाज़ को कुचलने के प्रयास किया जा रहा हैं। आखिर ये किसान लाल पानी से मुक्ति और रोजगार ही तो मांग रहे है।