कवर्धा (नईदुनिया न्यूज)। नरवा गरूवा घुरूवा बारी शासन की महत्वकांक्षी योजना है। इसके बाद भी मवेशियो के संरक्षण के लिए अभी तक जिले के 50 से अधिक पंचायतों में गोठान नहीं बना है। इस वजह से धुमंतू मवेशी अभी भी सुरक्षित नहीं हैं। खेती का दौर फिर से शुरू हो चुका है। ऐसे में प्रशासन ने एक बार फिर से रोका-छेका के लिए गाइड लाइन जारी कर दी है। वैसे जिले में कुल 376 निर्मित गोठान है, जिसमें करीब दो लाख 38 हजार 567 मवेशी आते है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में चरागन भूमि के साथ चरवाहा सुनिश्चित नहीं होने स मवेशियों को शहर की ओर आने से रोकना चुनौती बनी है। मवेशियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शासन ने रोका-छेका कार्य योजना शुरू
की है।
जिसका उद्देश्य यहां-वहां भटकते मवेशियों को गोठान पहुंचाना है। विडंबना यह कि जिन गांव में गोठान बन चुका है वहां अधिकांश में अभी तक चरवाहों की नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में मवेशियों का संरक्षण नहीं हो रहा। खेती किसानी का काम शुरू हो चुका है। खेतों में बोआई शुरू होने से मवेशियों को शहर की ओर हांके जा रहे। इधर शहर में भी में रोका छेका अभियान बंद होने से सड़कों में मवेशियों का जमावड़ा बढ़ गया है।
चारागन भूमि अतिक्रमण के हवालेः बताना होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों मे चारागन भूमि अतिक्रमण के कारण लगातार सिमट रहा है। ऐसे में घुमंतू गाय बैल के लिए चारा की कमी है। शासन की ओर से नरवा गरूवा घुरूवा बारी योजना के तहत गायों के संरक्षण के लिए गोठान की योजना तो शुरू की गई है लेकिन अभी तक कई गांव में इसका निर्माण पूरा नहीं हुआ है।कवर्धा शहर के आसपास ग्रामीण क्षेत्र के मवेशियों का जमावड़ा अब शहर में होने लगा है। ज्यादातर शहर के साप्ताहिक बाजारों में पशुओं देखा जा सकता है। शहर के कांजीहाउस की दशा बदहाल हो चुकी है। यहीं वजह है कि शहर में घुमंतू पशुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
नेशनल हाइवे में फिर से जमावड़ाःगोठान बनने के बाद भी मुख्य मार्गों में मवेशियों को रात के समय सड़क के बीचो बीच बैठे देखा जा सकता है। बीते वर्ष बोड़ला में मवेशियों की मौत हो गई थी। घटना की पुनरावृत्ति न हो इस आशय से तात्कालिक एसडीएम पंचायत सचिवों ने मवेशियों का सड़क से खदेड़ने की जिम्मेदारी दी थी।
Posted By: Nai Dunia News Network
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