भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र में मान्यता चुनाव के लिए जारी मतदाता सूची पर आपत्ति की बुधवार को अंतिम तिथि तक कोई आपत्ति नहीं आई। इसके साथ ही अब मतदाता सूची का प्रारूप लगभग अंतिम हो गया है।
सूची का अंतिम प्रकाशन 15 जुलाई को होगा। कुल 13 हजार 418 मतदाता इसमें मतदान करेंगे। इधर इन चुनावी प्रक्रियाओं के कर्मचारी यूनियनों ने प्रचार प्रसार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
संयंत्र के भीतर विभागों से लेकर टाउनशिप तक में बैठकों और समर्थंन बटोरने का दौर चल रहा है। इतना ही नहीं हाल ही में प्रबंधन द्वारा दी गई सौगातों को भी यूनियन स्वयं की पहल बताने में लगे हुए हैं।
भिलाई इस्पात संयंत्र में मान्यता चुनाव के लिए मतदान 30 जुलाई को होना है। इसके पहले चुनावी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। शुरूआत मतदाता सूची से की गई है।
निर्वाचन अधिकारी एवं सहायक श्रमायुक्त केंद्रीय आर के पुरोहित ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के एक दिन बाद एक जुलाई को मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन कर दिया था। इस पर दावा आपत्ति की तिथि छह जुलाई तय की गई थी।
आज शाम को यह समय सीमा समाप्त हो गई। कोई भी आपत्ति नहीं आने की वजह से वर्तमान मतदाता सूची को ही अंतिम प्रारूप मानते हुए इसका अंतिम प्रकाशन 15 जुलाई को कर दिया जाएगा। इसके बाद नामिनेशन एवं चुनाव चिन्ह की प्रक्रिया 18 जुलाई को होगी। नाम वापसी की तिथि 19 जुलाई एवं 20 जुलाई को चुनाव चिन्ह का आंवटन किया जाएगा। कुल 13 हजार 418 मतदाता 30 जुलाई को मतदान में भाग लेंगे।
प्रचार में नहीं छोड़ रहे कोई कसर
आइडी एक्ट के तहत भिलाई इस्पात संयंत्र में चौथी बार हो रहे मान्यता चुनाव में बाजी मारने सभी 10 यूनियनों ने जोर लगा रखी है। इसमें दो यूनियनों ने गठबंधन कर लिया है।
वहीं शेष यूनियन स्वतंत्र ही मैदान में हैं। कर्मचारी यूनियनों ने प्रचार प्रसार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। संयंत्र केे भीतर विभागों से लेकर टाउनशिप तक में बैठकों का चल रहा है। इस दौरान कर्मचारियों की रिझाने के लिए कोई कसर यूनियन नहीं छोड़ रहे हैं। यूनियन नेता अलग-अलग टीम बनाकर अधिक से अधिक कर्मचारी तक पहुंच रहे हैं।
सेवाकाल में प्रशिक्षण अवधि को जोड़ने की सौगात पर जंग
भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने बीते दो दिनों में दो आदेश जारी किया है। एक आदेश में प्रबंधन ने सन 2003 से 2008 तक के भर्ती कर्मचारियों के सेवाकाल में प्रशिक्षण अवधि को जोड़ने का आदेश दिया है। इस आदेश से कई वर्षों से परेशान 470 कर्मचारियों को राहत मिली है। वहीं दूसरे आदेश में मेडिकल प्रतिपूर्ति की तिथि को 30 दिन से अधिक करते हुए 60 दिन निर्धारित कर दी गई है।
उक्त दोनों ही आदेश जारी होने के बाद से ही कमोबेश सभी राष्ट्रीय एवं स्थानीय यूनियन इसका श्रेय लेने में लग गए हैं। इंटरनेट मीडिया पर तो इसे लेकर एक तरह से जंग छिड़ गई है। सभी यही प्रचार कर रहे हैं कि प्रबंधन ने उनकी वजह से ही उक्त दोनों ही लंबित मुद्दों पर पहल की है। उनकी यूनियन के दबाव के कारण ही कर्मचारियों को उनका यह हक मिल पाया है। ऐसा दावा सभी यूनियनों के नेता कर रहे हैं।
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