Bilaspur News: बिलासपुर। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप लगाते हुए राज्य शासन ने 16 शिक्षाकर्मियों को बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया था। शासन के निर्णय को चुनौती देते हुए शिक्षाकर्मियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए बहाली का आदेश जारी कर दिया है।

राज्य शासन ने याचािकाकर्ता शिक्षाकर्मियों को गलत अनुभव प्रमाण पत्र पेश करने का आरोप लगाते हुए सेवा से पृथक कर दिया था। रोहित साहू, प्रभा देशमुख एवं गीतेश्वरी साहू की नियुक्ति शिक्षा कर्मी वर्ग तीन के पद पर 17 दिसंबर 2007 में प्राथमिक शाला बोड़ला जिला कवर्धा (कबीरधाम) में हुई थी। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद 16 शिक्षाकर्मियों को 27 सितंबर 2008 को सेवा से पृथक कर दिया गया। सेवा से पृथक करते करने जारी आदेश में आरोप लगाया गया कि अनुभव प्रमाण पत्र गलत पेश किया गया है। राज्य शासन ने अपने उस आरोप को साबित नहीं कर पाया जिसके तहत शिक्षाकर्मियों को बर्खास्तगी आदेश जारी किया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अध्यापन अध्यापन संबंधित जमा किए गए अनुभव प्रमाण पत्र सही है। किसी भी एजेंसी से जांच कराई जा सकती है। दोनों पक्षों की बहस और दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन के फैसले को रद करते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं को उनके पूर्व पद शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के पद पर बहाली का आदेश जारी किया है।

वेकेशन जज के कोर्ट में हुई सुनवाई

हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी जब याचिकाकर्ताओं की बहाली नहीं की जा रही थी तब एक अन्य याचिकाकर्ता ने अपने वकील के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। दायर याचिका में न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। वेकेशन जज के कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को तत्काल सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद की तिथि तय की है।

Posted By: Yogeshwar Sharma

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