Bhaiyaji Kahin: राशाकिशन शर्मा बिलासपुर। चार साल की चुप्पी के बाद अब प्रदेश का राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। कभी इधर से तो कभी उधर से बयानों के तीर चल रहे हैं। सबको पता है निशाना किस पर और किसके लिए है। 15 साल तक सत्ता की राजनीति करने वाले पूर्व सीएम इन दिनों ज्यादा ही आक्रामक नजर आ रहे हैं। दो दिन पहले शहर प्रवास पर आए थे। केंद्रीय बजट पर अपनी बात रखी। पत्रकारों के सवालों का उसी अंदाज में जवाब भी दिया।
जवाब भी ऐसा वैसा नहीं। अपने अंदाज में सधे और नपे-तुले। खासियत ये कि इसमें भी तल्खी दिखी। निशाने पर और कोई नहीं। समझ ही गए होंगे। उनके निशाने पर रहेंगे कौन? सभा के दौरान नए अंदाज में नजर में आए। भीड़ देखकर यही लग रहा था कि चुनावी सभा हो। सभा में जमकर गरजे। दावा भी जोरशोर से किया। दावों में दम नजर आया। कार्यकर्ता जो रिचार्ज हो गए।
फेरबदल के क्या है मायने: सत्ताधारी दल कांग्र्रेस ने संगठन को दुस्र्स्त करने का काम शुरू कर दिया है। इसकी शुस्र्आत महिला कांग्रेस से हो गई है। हाल ही में महिला कांग्रेस में बड़ी संगठनात्मक सर्जरी की गई है। इसमें बिलासपुर शहर भी प्रभावित हुआ है। सात साल बाद चेहरे बदले गए। विधानसभा चुनाव को देखते हुए किए गए फेरबदल के पीछे निष्क्रियता को भी कारण बताया जा रहा है।
संगठन की राजनीति से विश्राम देते हुए उन चेहरे को मौका दिया गया है जिनके पीछे कार्यकर्ताओं की टीम है और एक इशारे पर सड़क पर उतर आते हैं। चुनावी वर्ष में इन चेहरों पर संगठन ने बड़ा दांव खेला है। जिम्मेदारी भी बड़ी है। जाहिर है नई-नई कुर्सी संभालने वाली पदाधिकारियों को अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी। महिला कांग्र्रेस से शुरू हुआ सर्जरी का यह दौर कहां जाकर थमेगा यह भी देखने वाली बात है। संभावनाएं तलाशने वाले लोग काम में लग गए हैं।
ये लेफ्ट जोन क्या है: हम स्मार्ट सिटी के रहवासी हैं। इसी के अनुरूप शहर का विकास हो रहा है। स्मार्ट रोड, तारामंडल से लेकर स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम। सबकुछ नए अंदाज में। पुराना है तो हमारा अपना रंग और ढंग। स्मार्ट शहर में ट्रैफिक सिस्टम तो स्मार्ट हो रहा है पर हमारा रवैया आज भी वही पुराना। ट्रैफिक का क ख ग नहीं समझ पा रहे हैं। लेफ्ट जोन क्या होता है यह तो हमने जाना ही नहीं है।
तभी तो जब सिग्नल रेड लाइन दिखाता है तो हम लेफ्ट साइड छोड़ने के बजाय उसी जगह पर अपने दोपहिया या चारपहिया के साथ खड़े रहते हैं। लेफ्ट साइड जाने वालों को भी जगह नहीं देते। स्मार्ट शहर में रहने और रोज सिग्नल से गुजरने के बाद भी अब तक यह समझ नहीं पाए हैं कि लेपट जोन को फ्री रखना है। शहर स्मार्ट हो रहा है आप भी अपनी सोच-समझ में थोड़ा स्मार्टनेस ले आइए।
उड़ती जमीन के पीछे सच: लैंड और सैंड माफिया के बढ़ते दबदबे के चलते सरकार की किरकिरी हो रही है। पूर्व मंत्री अमर पहले भी कह चुके हैं कि शहर की जमीन उड़ रही है। भूमि स्वामियों को सावधानी बरतने और सजग रहने की सलाह भी दे चुके हैं। उनके आरोप में दम भी है। तभी तो शहर की अधिकांश खाली जगहों पर बड़े-बड़े बोर्ड लगे नजर आ जाते हैं। बोर्ड में कुछ इस अंदाज में लोग अपनी जमीन के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
आप भी पढ़िए। सावधान। यह जमीन हमारी है। बिकाऊ नहीं है। जिस किसी को इस संबंध में बात करनी हो तो फला मोबाइल नंबर पर काल कर कंफर्म कर सकते हैं। इसका मतलब साफ है माफिया किसी की जमीन को किसी को भी बेच रहे हैं। जब तक भूमि स्वामी को पता चलता है कब्जा किसी और का हो जाता है। फिर शुरू होता है कोर्ट कचहरी का चक्कर।
Posted By: Abrak Akrosh
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