बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। वायरस की चपेट में आकर बीमार हुई मादा शावक रश्मि, आनंदी व दिशा एक महीने तक मां (बाघिन रंभा) से अलग रेस्क्यू सेंटर में ही रहेंगे। वैसे तो आनंदी व दिशा पूरी तरह स्वस्थ्य हो चुके हैं, लेकिन जू प्रबंधन का मानना है कि संक्रमण का खतरा एक महीने तक रहता है। रश्मि अभी भी डेंजर जोन में हैं। उसका उपचार जारी है। दो- तीन दिनों में वह भी स्वस्थ्य हो जााएगी। लेकिन शावकों को अभी वापस केज में नहीं छोड़ा जाएगा।
बाघिन रंभा की तीनों मादक शावक फेलाइन पे ल्यूकोपेनिया वायरस की चपेट में हैं। पहले आनंदी व दिशा इससे ग्रसित हुई। उन्हें आनन- फानन में रेस्क्यू सेंटर पर लाकर आइसोलेट किया गया। अब तीसरी शावक रश्मि को भी वायरस ने घेर लिया है। चूंकि दोनों शावकों के बाद जू प्रबंधक सतर्क था। इसलिए रश्मि में लक्षण मिलते ही बिना देरी किए केज से हटा लिया गया। वन्य प्राणी चिकित्सक डा. पीके चंदन शावकों का इलाज कर रहे हैं।
इसी का नतीजा है कि पहले चपेट में आए आनंदी व दिशा की हालत में पूरी तरह सुधार हो चुका है। लेकिन रश्मि के लिए खतरा अब भी है। जिसे लेकर जू प्रबंधन बेहद चिंतित थे। यही वजह है इलाज के साथ- साथ संक्रमण से बचाव के तमाम उपाय किए जा रहे हैं।
इसमें सबसे प्रमुख जू के वह वन्य प्राणी, जो केट फेमिली में आते हैं, उनके केजों में प्रतिदिन संक्रमणरोधी दवाओं को छिड़काव किया जा रहा था। इसके अलावा वह जिस पानी को पीते हैं, उसे प्रतिदिन बदल दिया जा रहा है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाईयां को आहार के साथ मिलाकर दिया जा रहा है।
इसकी वजह से दूसरे वन्य प्राणी वायरस की चपेट में आने से बच गए। जू प्रबंधन का कहना है कि सतर्कता पूरी बरती जा रही है। इसीलिए अभी शावकों को मां के पास नहीं छोड़ा जाएगा। एक महीने बाद ही पहले की तरह पर्यटकों को नजर आने लगेंगी।
Posted By: Manoj Kumar Tiwari
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