Bilaspur News: बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। बेजुबानों पर भी मौसम का प्रभाव पड़ता है। ठंड में जहां कपकपी होती है वहीं गर्मी में वन्य प्राणी व्याकुल हो जाते हैं। वह हांपने लगते हैं। अब गर्मी शुरू हो गई है। इसे देखते हुए ही कानन पेंडारी जू प्रबंधन ने वन्य प्राणियों के लिए खास जतन की है। बाघ, तेंदुआ, लायन के बंद केज में कूलर लगाकर राहत दी जा रही है। वहीं, खुले केज में स्प्रिंकलर लगाए गए हैं। स्प्रिंकलर की व्यवस्था दोनों वन्य प्राणियों के केज में हैं। इसके अलावा बारहसिंगा, सांभर व चीतल जैसे वन्य प्राणियों केज में बने टीन शेड में हाथी घास बिछाई गई है, ताकि नीचे का तापमान ठंडा रहे। वन्य प्राणी दोपहर के समय इसी शेड के नीचे बैठना पसंद करते हैं।

वन विभाग का यह चिड़ियाघर प्रदेश का सबसे बड़ा जू है। 450 से अधिक वन्य प्राणी और 65 प्रजातियों वाले इस चिड़ियाघर में वन्य प्राणियों के रहवास से लेकर उनके खानपान पर पूरा ध्यान दिया जाता है। व्यवस्था मौसम के अनुरूप बदलती रहती है। अब गर्मी बढ़ने लगी है। आने वाले दिनों में तापमान और बढ़ेगा। इसलिए जू प्रबंधन ने पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं।

चीतल, सांभर, नील गाय, बारहसिंगा, मणिपुर हिरण, कोटरी समेत खुले में रहने वाले शाकाहारी वन्य प्राणियों के केज में स्प्रिंकलर लगाए गए हैं। इसके नीचे वन्य प्राणी घंटों बैठकर खुद को गर्मी से बचाते हैं। इतना ही नहीं क्षमता के अनुसार शेड भी बनाए गए हैं। हालांकि यह शेड टीन के हैं। इसके कारण गर्मी में यह और गर्म हो जाते हैं। इस स्थिति में उन्हें इसके नीचे बैठने में परेशानी होती है। इसलिए खास तौर से हाथी घास मंगाया गया है। इसकी वजह से शेड के नीचे का हिस्सा कम गर्म होता है।

समय-समय पर जूकीपर इसे गीला भी कर रहे हैं, ताकि शेड के नीचे ठंडा रहे। वन्य प्राणी यहां बैठते भी हैं। खासकर दोपहर में जब सूर्य की तेज किरणें प्रभावित करती हैं। इसके अलावा बाघ समेत अन्य मांसाहारी वन्य प्राणियों के लिए स्प्रिंकलर के साथ कूलर की व्यवस्था भी की गई। दरअसल शाम ढलने के बाद यह प्राणी बंद केज के अंदर चले जाते हैं। उस स्थिति में कूलर की हवाएं ही उन्हीं गर्मी से राहत देती है। दोपहर में इन्हें स्प्रिंकलर के नीचे बैठना खूब भाता है।

भालू चख रहे तरबूज, पपीता व खीर

मौसम बदलते ही कानन पेंडारी जू के भालुओं के खानपान में भी बदलाव किया गया है। उन्हें मौसमी फल तरबूज, फ्रूट, ककड़ी, पपीता व केले भी दिए जा रहे हैं। इन फलों को वे चाव के साथ खाते हैं। इसके अलावा खीर व खिचड़ी भी दी जा रही है। गर्मी के मौसम में भालू मौसमी फलों को पसंद करते हंै। इससे उनकी पाचन क्रिया भी बेहतर बनी रहती है। इनके बाड़े में भी कूलर की व्यवस्था की गई है। जिससे वह गर्मी से बच सके।

ग्रीन नेट व खस से पक्षियों को मिली राहत

कानन पेंडारी जू में पक्षी भी बड़ी संख्या में हैं। जू प्रबंधन का मानना है कि गर्मी बढ़ने का सबसे ज्यादा असर पक्षियों पर ही पड़ता है। एक समय के बाद वह गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसके कारण उनकी जान भी चली जाती है। इसे देखते हुए ही जू प्रबंधन पक्षियों के केज के ऊपरी हिस्से में ग्रीन नेट बिछाया है। इसके अलावा सामने की तरफ जहां से गर्म हवा केज में प्रवेश करती है, वहां खस लगाए गए हैं। यहां तैनात जूकीपर को निर्देश दिया गया है कि कुछ समय के अंतराल में वे खस में पानी का छिड़काव करते रहे हैं।

तेंदुए के केज में छोटा झरना

तेंदुए के केज को आकर्षक स्वरूप देने और गर्मी से बचाने के लिए इस बार जू प्रबंधन नई व्यवस्था की है। केज के एक किनारे में छोटा सा झरना बनाया है। झरने के नीचे हिस्से की डिजाइन इस तरह है कि वहां पानी जमा होता है। तेंदुआ इस झरने में चढ़कर बैठते हैं तो कभी पानी में डुबकी लगाते हैं। इससे भी उन्हें गर्मी से राहत मिल रही है।

Posted By: Abrak Akrosh

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