बिलासपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के एक बेतुका आदेश से बेरोजगारों की समस्या अब बढ़ने वाली है। निजी कालेजों में नौकरी पाने के लिए अब उन्हें जेब ढ़ीली करनी होगी। साक्षात्कार के दौरान कुर्सी पर बैठने, कमरा, बिजली और हवा का भी किराया देना होगा। जिसे लेकर अब विरोध शुरू हो गया है।
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय प्रशासन ने संबद्ध सभी निजी कालेजों के प्राचार्यों को एक आदेश जारी किया है। जिसमें यूजीसी के परिनियम 28 के अंतर्गत संस्था में शैक्षणिक और अशैक्षणिक पदों में नियुक्ति के लिए गठित चयन समिति की बैठक को लेकर पांच हजार रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। यूटीडी के होटल मैनेजमेंट एंड हास्पिटलिटी विभाग के पास यह शुल्क जमा कर रसीद लेना अनिवार्य है।
चयन समिति की अध्यक्ष सहित उम्मीदवारों को समय पूर्व सूचना देने के साथ विभाग से अनुमति लेनी होगी। जिसका असर अब बेरोजगार उम्मीदवारों पर पड़ेगा। क्योंकि कालेजों ने सीधे हाथ खड़े करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि चूंकि यह शुल्क विश्वविद्यालय को देना है ऐसे में इसकी वसूली उम्मीदवारों से की जाएगी।
यह शुल्क कितना होगा। यह अभी तय नहीं है। लेकिन कालेज प्रशासन भी विश्वविद्यालय के इस आदेश का जमकर लाभ उठाएंगे। एक जानकारी के मुताबिक यदी एक पद के लिए दो उम्मीद हुए तो दोनों को 25-25 सौ रुपये देने होंगे। प्राचार्यों सहित बेरोजगारों में इसे लेकर भारी आक्रोश भी है। उनका मानना है कि सरकारी संस्था होने के बाद भी विश्वविद्यालय का यह आदेश बिल्कुल बेतुका है। जबकि सरकारी कालेज से लेकर विश्वविद्यालय में यह सारी सुविधाएं पहले से निश्शुल्क मिलती आ रही है।
भर्राशाही: तत्काल आदेश लागू
मनमानी और भर्राशाही का आलम यह है कि इसे कुलसचिव ने तत्काल प्रभावशील करते हुए आदेश लागू कर दिया गया है। यूजीसी नियमानुसार कार्रवाई करने के बजाए वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ प्राचार्यों ने कहा कि इस तरह के आदेश से विश्वविद्यालय की छवि धूमिल होगी।
बेरोजगारों पर गलत असर पड़ेगा। छत्तीसगढ़ शासन एक ओर प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों को परीक्षा शुल्क से छूट दे रही है तो वहीं राज्य विश्वविद्यालय इस तरह से युवाओं पर बोझ डाल रहे हैं। कोई भी कालेज किस मद से शुल्क देगा।
क्या है परिनियम 28 में नियुक्ति
निजी कालेजों को यूजीसी के परिनियम 28 के तहत शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति करनी होती है। यह निजी संस्थानों में नियमित नियुक्ति मानी जाती है। इसका फायदा छात्रों को होता है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होता है। कालेज प्रशासन को शिक्षकों को मापदंड के अनुसार वेतन देना पड़ता है।
यूजीसी नियमों के मुताबिक कालेजों को परिनियम 28 में भर्ती अनिवार्य है। इसके लिए साक्षात्कार चयन समिति गठित की जाती है। हमने समिति की बैठक को लेकर व्यवस्था बनाई है। ताकि आसानी से प्रक्रिया संपन्न् हो सके। कमरा,बिजली, एसी आदि की सुविधा होगी। जिसके लिए पांच हजार रुपये ले रहे हैं तो गलत क्या है?
शैलेंद्र दुबे, प्रभारी कुलसचिव
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय
Posted By: Manoj Kumar Tiwari