बिलासपुर। आर्ट आफ रीडिंग पर सती योग अहमदाबाद गुजरात के द्वारा आयोजित वेबीनार में पढ़ने की आदत को विकसित कर विश्व के महान विचारकों के विचार को अपने जीवन में उतार ट्रांसफॉरमेशन के सूत्र बताए गए। विद्या भारती के प्रेरकत्व पर इस वेबीनार में शहर के युवाओं ने हिस्सा लिया।

ओशो सन्यासी स्वामी इक्यू तजू ने पढ़ने की कला को साधना बताया। उन्होंने विश्व के सफलतम आध्यात्मिक महान पुरुषों का उदाहरण देते हुए कहां कि केवल पुस्तक पढ़ लेना अलग बात है लेकिन पढ़ने की आदत को विकसित कर महान विचारकों के विचार को आत्मसात करते हुए अपने जीवन की चेतना को उच्चतम स्तर तक ले जाकर अपने जीवन को सार्थक कर लेना ही सही अर्थों में पढ़ना कहा जा सकता है।

उन्होंने वर्तमान में मोबाइल युवक की फास्ट लाइफ को मनुष्य की चेतना के लिए नुकसानदायक बताते हुए जीवन को उसकी निर्धारित प्राकृतिक गति के अनुसार जीने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि किताब पढ़ने के फायदे होते हैं ज्ञान मिलता है। पुस्तकों के संबंध में यह संदेश पर्याप्त नहीं है। जे कृष्णमूर्ति लियो टॉलस्टॉय जैसे विश्व प्रसिद्ध महान विचारकों की पुस्तकें व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।

उन्होंने जे कृष्णमूर्ति की जिंदगी का उदाहरण देते हुए रीडिंग की हैबिट्स को डिवेलप किए जाने और परसेप्शन अर्थात चेतना के स्तर को ध्यान के माध्यम से उच्च से उच्चतम बनाए जाने को लेकर महत्वपूर्ण टिप्स भी दिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रूप से लाइफ स्लो है यदि आप लाइफ की गति से चलेंगे तो हर पल आनंद से भर जाएगा।

जैसे सूरज के चलने की और वृक्षों में फल फूल आने की अपनी गति और समय होता है उससे पहले वे संचालित नहीं हो सकते। उसी तरह प्राकृतिक रूप से हम जीवन को जी कर इसके पल-पल आनंद को अनुभव कर सकते हैं।

0 अष्टावक्र महागीता की चर्चा

इस अवसर पर स्वामी जी ने आध्यात्मिक किताब अष्टावक्र महागीता की महत्ता की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह ऐसा ग्रंथ है जिसको अपने जीवन में उतार कर अपना जीवन बदला जा सकता है। रात में सोने से पहले अष्टावक्र गीता पढ़ेंगे तो रात भर सोते समय भी आपका माइंड मेडिटेटिव अवस्था में रहेगा। अष्टावक्र महागीता पढ़ने से पहले अपने ब्रेन को पढ़ने की आदत से अभ्यस्त करना होगा। सीधे इतना गहन अर्थ वाला ग्रंथ नहीं पढना उतना सार्थक नहीं होगा।

0 पढ़ने की कला में ये रखें सावधानी

0 किसी दूसरे की पसंद की पुस्तकें ना खरीदें। अपने रुचि के विषय पर आधारित पुस्तकें खरीद कर पढ़ना शुरू करें। इससे पढ़ने की आदत बनेगी।

0 पीडीएफ और आडियो फार्म में किताबें ना पढ़े। इसमें आप रीडिंग को कंटिन्यू नहीं कर सकते।

सोने से पहले और सुबह उठने के बाद संभव हो सके तो 3 - 3 घंटे मोबाइल टेक्नोलॉजी से दूर रहें। यह दोनों टाइम रीडिंग सेशन का बनाएं

सोने से पहले आखरी विचार रात भर हमारे दिमाग में चलता है। अगली सुबह यही हमारा पहला विचार होता है। इसलिए रात सोने से पूर्व अच्छी किताबें पढ़ें जो आपकी रूचि की हों।

यदि किसी एक महान विचारक की किताब पढ़ना शुरू करते हैं तो उसे फिनिश कर ही दूसरे विचारक की किताब पढ़ना शुरू करें। हम जिस विचारक की किताबें पढ़ते हैं तो हमारी चेतना भी उसी विचारक के अनुरूप होना शुरू हो जाती है।

जे कृष्णमूर्ति के जीवन में रीडिंग से ट्रांसफॉरमेशन आया। रीडिंग से आपकी चेतना में बदलाव आएगा। कॉन्शसनेस एंड कंटेंट आर द सेम थिंग।

हमारे होने से हमारे विचारों का संबंध है। हम जैसा सोचते हैं वैसा ही हो जाते हैं।

टालस्टाय को अपनी पुस्तक लिखने में 12 साल लगे। यदि आप टालस्टाय पढ़ते हैं तो उनकी 13 से 14 सौ पेज की किताब समझकर पढ़ने में कम से कम 12 महीने लगेंगे। यदि इस पर वीडियो देखेंगे तो वह 4 या 5 घंटे का हो सकता है। लेकिन दृश्य चेतना के स्तर को नहीं बढ़ा सकता। वह विचारों को खत्म कर देता है। इसलिए पुस्तक पढ़ने को ही महत्व दें। वीडियो देखकर लंबे समय तक किसी विचार को मस्तिष्क में नहीं रखा जा सकता।

पढ़ना स्वान्त: सुखाय जैसा आनंद बन सकता है। यह आप पर निर्भर करता है कि पढ़ने को आप पढ़ने तक सीमित रखना चाहते हैं अथवा उसको कला या साधना बनाना चाहते हैं।

चेतन भगत को तो जिस तेज गति से पढ़ा जा सकता है। उस गति से आप टालस्टाय को फास्ट नहीं पढ़ सकते।

Posted By: Manoj Kumar Tiwari

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