बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। हे महाकाल जब तक अपने पैरों पर चलकर आपके दर्शन नहीं करूंगा आपके दरबार में नहीं आऊंगा। यह संकल्प था इंदौर के व्यवसायी अस्र्ण सिंह पवार का। 44 साल पहले 1978 में एक सड़क दुर्घटना में उनका पैर खराब हो गया था। इलाज के दौरान चिकित्सकों ने उनका पैर काट दिया। घाव ठीक होने के बाद कृत्रिम जयपुरी पैर लगा था। वजन होने के कारण वह मुड़ता नहीं था। एक दिन वह जयपुरी पैर लगाए महाकाल के मंदिर पहुंचे। मंदिर के बाहर खड़े होकर संकल्प ले लिया। जब तक अपने पैरों पर चलकर उनके दर्शन करने लायक नहीं हो जाएंगे दूर से ही उनका दर्शन करेंगे।
संकल्प किया तो उसे निभाते भी रहा। एक दिन संकल्प पूरा होने का दिन भी आ गया। स्वजन ने फोन कर बताया कि बिलासपुर में 21 अगस्त 2022 को रोटरी क्लब आफ बिलासपुर यूनाइटेड व विकलांग चेतना परिषद के बैनर तले नकली हाथ व पैर लगाने शिविर लगाया जा रहा है। आयोजकों का नंबर लेकर उन्होंने संपर्क किया और बिलासपुर पहुंच गए। विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में उन्हें अत्याधुनिक तकनीक से बने प्रभा फूट लगाया गया। आसानी के साथ मुड़ जाता है और चलने फिरने में भी सहूलियत है।
बिलासपुर से इंदौर पहुंचने के बाद दूसरे दिन महाकाल के दर्शन करने गया। संकल्प पूरा होने का दिन था। लिहाजा स्वजन भी साथ गए। महाकाल का दर्शन किए और फूट-फूटकर रो पड़े। पहले अरुण जल संसाधन विभाग भोपाल में पदस्थ थे। इस दौरान ही हादसा हुआ था। अरुण अब न केवल चल फिर रहे हैं बल्कि अपना खुद का व्यवसाय भी कर रहे हैं। अरुण के अलावा छह ऐसे लोग भी शिविर में पहुंचे थे जिनका एक या फिर दोनों हाथ नहीं थे। इनका हाथ भी लगाया है। दिव्यांग जब अपने स्वजन के साथ शिविर में आए थे तब इनका चेहरा मुरझाया हुआ था। तीन दिन बाद जब ये लौट रहे थे तब चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक दिखाई दे रही थी और आंखे कृतज्ञता के साथ पदाधिकारियों के सामने झुक गई थी।
दो ऐसे जिनके दोनों हाथ और पैर नहीं थे
शिविर में दो ऐसे लोग भी पहुंचे थे जिनके दोनों पैर और एक व्यक्ति के दोनों हाथ नहीं थे। यह देखकर विशेषज्ञ चिकित्सक की आंखें भर आईं। इनकी विवशता देखकर शिविर में पहुंचे वे लोग भी रो पड़े जो पैर लगवाने के लिए आए थे। जामनगर से विशेषज्ञों की टीम बुलाकर दोनों लोगों के लिए हाथ व पैर बनवाए और लगाने के बाद उनको जाने दिया गया।
सामाजिक सरोकार की मिसाल भी बने
रोटरी क्लब आफ बिलासपुर यूनाइटेड के पदाधिकारी जरूरतमंदों को नकली हाथ व पैर लगाने के अलावा सामाजिक सरोकार की भूमिका निभाने में भी एक कदम आगे रहे। चिरमिरी की परमेश्वरी भारती का एक पैर नहीं था। पैर लगाने के अलावा उनको खुद का व्यवसाय करने के लिए पदाधिकारियों ने आर्थिक मदद भी पहुंचाई। बैकुंठपुर की एक महिला का एक पैर नहीं था। पैर लगाने के अलावा महिला के व्यवसाय के लिए राशि भी दी।
इनकी भी सुनिए
जिनके हाथ या पैर नहीं हैं उनकी दिक्कतों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। क्लब के पदाधिकारियों ने ऐसे जरूरमंदों के लिए कुछ करने की योजना बनाई और शिविर लगाया। छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रांतों से आए 137 लोगों को कृत्रिम पैर व हाथ लगाया गया है। जरूरतमंदों को आर्थिक मदद भी पहुंचाई गई है। शिविर के लिए 25 लाख का बजट तय किया गया था। खास बात यह है कि फंड पदाधिकारी व सदस्यों ने आपस में जुटाई है।
कहीं से कोई सहयोग नहीं लिया गया है। आने वाले दिनों में इस तरह के शिविर का आयोजन किया जाएगा, ताकि जरूरतमंदों को मदद मिल सके और स्वावलंबी बनने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ सके। आयोजन में डा. किरणपाल चावला, डा. सुनील केडिया, डा. देवेंदर सिंह, संजय दुआ प्रवीण झा,डा अमित वर्मा डा मनोज राय,विमलेश अग्रवाल, विकास केजरीवाल, संदीप केडिया, सतीश अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल का विशेष सहयोग भी मिला।
पीयूष गुप्ता-अध्यक्ष,रोटरी क्लब बिलासपुर यूनाइटेड
Posted By: Abrak Akrosh
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