बिलासपुर। बिलासपुर जिले के खुंटाघाट जलाशय के मध्य स्थित द्वीप पर बगीचा, ग्लास हाउस और रेस्टोरेंट जैसे पर्यटन विकास कार्यों के विरोध में वन्यजीव प्रेमी सामने आने लगे हैं। इन कार्यों का भूमि पूजन 10 मार्च को किया गया है।
वन्यजीव प्रेमी ने प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि खुंटाघाट जलाशय केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई 2.25 हेक्टर से ज्यादा बड़ी वेटलैंड की सूची में सूचीबद्ध है। इस सूची में देश की 2,01,503 वेटलैंड सूचीबद्ध है।
सर्वोच्च न्यायालय ने एमके बालाकृष्णन विरुद्ध यूनियन ऑफ़ इंडिया (डब्लूपीसी 230-2001) आठ फरवरी 2017 तथा आदेश छह अक्टूबर 2017 को बार-बार कहा है कि भारत सरकार द्वारा सूचीबद्ध 2,01,503 वेटलैंड को उन्हीं सिद्धांतों पर संरक्षित करना है जो कि वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम के नियम-4 में प्रावधानित किए गए हैं।
वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम-चार अनिवार्य करते है कि वेटलैंड में किसी भी प्रकार का स्थाई निर्माण नहीं किया जा सकता। इसके अलावा वेटलैंड का संरक्षण और प्रबंधन युक्तियुक्त उपयोग के सिद्धांत के तहत किया जाना है।
युक्तियुक्त उपयोग का मतलब भी नियमों में बताया गया है जिसके तहत वेटलैंड के इकोलॉजिकल चरित्र का रख रखाव करना आता है और वेटलैंड की परिस्थितिकी प्रणाली घटकों (ecosystem components), प्रक्रियाओं (processes) तथा सेवाओं (services) का संकलन आता है। खुंटाघाट के द्वीप में बगीचा, ग्लास हाउस, रेस्टोरेंट, पर्यटन विकास कार्य के निर्माण उपरांत खुंटाघाट की परिस्थितिकी प्रणाली घटकों, प्रक्रियाओं तथा सेवाओं का जो संकलन है, वह ख़त्म हो जायेगा और वहां का वर्तमान इकोलॉजिकल चरित्र समाप्त हो जायेगा।
भारत सरकार और छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी ने भी लिखा है पत्र
भारत सरकार पर्यावरण, वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आठ मार्च 2022 को देश की सभी वेटलैंड अथॉरिटी को पत्र लिख कर सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय के मद्देनजर देश की सभी वेटलैंड को नियन-चार के तहत संरक्षित करने को आदेशित किया है। बाद में छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी ने भी सभी जिला कलेक्टर को भी इस संबंद में उनके जिले की वेटलैंड कि सूची के साथ पत्र लिखा है।
होगा अंतर्राष्टीय संधि का उलंघन पत्र में बताया गया है कि भारत, यूनाइटेड नेशन की कन्वेंशन ऑफ बायोलॉजिकल डायवर्सिटी की 15 वीं बैठक (कुनमिंग) में लिए गए निर्णय से भी बंधा हुआ है। इस बैठक की थीम थी “पृथ्वी पर सभी जीवन के लिए एक साझा भविष्य का निर्माण, प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर रहना।“ इस बैठक में निर्णय लिया गया था कि कोई भी निर्णय लेते वक्त जैवविविधता के संरक्षण और सतत उपयोग को मुख्य रूप से ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जावेगा।
खुंटाघाट का इको सिस्टम अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा यहां पर बर्ड नेस्टिंग, मगरमच्छ का अंडा देना सहित भरपूर जैवविविधता पाई जाती है जोकि इकोसिस्टम चलाती है। यहाँ किये जा रहे निर्माण और बाद में पर्यटन से जैवविविधता व्यापक रूप से प्रभावित होगी और जैवविविधता का हैबिटैट का नुकसान होगा।
नितिन सिंघवी ने बताया कि खुंटाघाट के द्वीप में बगीचा, ग्लास हाउस, रेस्टोरेंट पर्यटन विकास कार्य के निर्माण का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है और कार्यो का अगर क्रियान्वन किया जाता है तो न्यायालय के आदेश की अवमानना होगी। साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय संधि का भी उलंघन होगा।
Posted By: Manoj Kumar Tiwari
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