बिलासपुर। श्री श्री शीतला पूजा उत्सव संस्कारधानी में भक्तिभाव से मनाया जा रहा है। माता की पूजा में भक्त विलिन है। पंडालों में हरे रामा-हरे कृष्णा की संगीतमयी भजन-किर्तन चल रहा है। बिलासपुररियन्स इन दिनों इस भजन को पूरी श्रद्धा भाव से सुन रहे हैं। साल में एक बार ऐसा मौका आता है जब चारों ओर पंडालों में यह गूंज सुनाई देता है।

श्री श्री शीतला पूजा उत्सव का आज दूसरा दिन है। गुरुवार सुबह से नवमीं पूजा शुरू हो चुकी है। भक्त पंडालों में माता को पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हैं। हरिनाम कीर्तन का विशेष महत्व है। शंकर नगर चुचुहियापारा में सार्वजनिक श्री श्री शीतला पूजा उत्सव का 73वां वर्ष है। पूजा समिति शंकर नगर के सदस्य दिलीप जाना ने बताया कि किर्तन का विशेष महत्व है। तीन दिनी उत्सव के अंतिम दिन प्रभात फेरी निकाली जाएगी।

इस दिन शंकर नगर में सभी मंडलियां घूमती हैं। धार्मिक रूप से इसे कीर्तन से जोड़ा जाता है। जिसे मन की शांति के लिए किया जाता है। हमारे धर्म ग्रंथों में हरिनाम कीर्तन की बड़ी भारी महिमा बताई गई है। कीर्तन जोर-जोर से होता है और इसमें संख्या का कोई हिसाब नहीं रखा जाता।

यही जप और कीर्तन में भेद है, जप जितना गुप्त होता है उतना ही उसका अधिक महत्व है, जबकि कीर्तन जितना ही गगन भेदी स्वर में होता है उतना ही उसका महत्व बढ़ता है। कीर्तन के साथ संगीत का संबंध है। कीर्तन में पहले-पहले स्वरों की एकतानता करनी पड़ती है।

कीर्तन के कई प्रकार हैं। खुशी के साथ भगवान का नाम लेते लेते आंसू तक गिरने लगते हैं। हरिनाम कीर्तन में शामिल होने हर साल आसपास बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। शाम को महाआरती होती है। इसमें बताशे का प्रसाद बांटा जाता है। इसे देखने और सुनने मात्र से एक अलौकिक शांति मिलती है।

अच्छी सेहत के लिए पूजा-पाठ

संस्कारधानी में श्री श्री शीतला पूजा उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज आरती के बाद दोपहर को माता को शीतल भोग लगाया गया। इस पूजन में शामिल होने से घर-परिवार में चेचक रोग, दाह, पित्त ज्वर, दुर्गंध युक्त फोड़े, आंखों की सभी बीमारियां आदि शीतलाजनित समस्याएं दूर हो जाती हैं।

लिहाजा लोग इनसे मुक्ति पाने और भविष्य में ऐसे रोगों से अपने परिवार के लोगों को बचाने के लिए पूजा-पाठ करते हैं। सुबह से आज पंडालों में भीड़ रही।

Posted By: Manoj Kumar Tiwari

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