CG High Court News: बिलासपुर( नईदुनिया प्रतिनिधि)। 30 अगस्त 2010 को निश्‍शक्त कर्मचारियों ने राज्य शासन ने प्रविधान किया है कि तृतीय व चतुर्थ वर्ग श्रेणी में कार्य करने वाले दिव्यांग कर्मचारियों को उनके शारीरिक स्थिति को देखते हुए विशेष सुविधा दी जाएगी। ऐसे कर्मचारी को उनके गृह जिले के भीतर व जन्म स्थान के नजदीक सेवा करने का अवसर दिया जाएगा। राज्य शासन ने इस प्रविधान का गंभीरतापूर्वक पालन करने का निर्देश भी जारी किया है। शासन द्वारा बनाई गई व्यवस्था व नियमों का पालन करने के बजाय अफसर धज्जियां उड़ा रहे हैं। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दिव्यांग कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दी है।

राजनादगांव निवासी अमितेश दास वैष्णव ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व घनश्याम शर्मा के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा है कि शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनादगांव में वह लैब अटेंडेंट के पद पर कार्य कर रहा था। सचिव उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर उसका स्थानांतरण शासकीय महाविद्यालय डौंडी जिला बालोद कर दिया है। याचिकाकर्ता के अनुसार वह दिव्यांग है। 60 प्रतिशत दिव्यांगता के कारण शारीरिक रूप से कमजोरी रहती है। वह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की श्रेणी में आता है। याचिकाकर्ता ने राज्य शासन के दो निर्देशों का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने 30 अगस्त 2010 को एक आदेश जारी किया है।

इसमें कहा गया है कि तृतीय व चतुर्थ वर्ग के नि:शक्त कर्मचारियों की शारीरिक अक्षमता को देखते हुए उनकी पदस्थापना गृह जिले के भीतर एवं जन्म स्थान के समीप की जाएगी। याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य शासन का स्पष्ट निर्देश है कि जारी प्रविधान का गंभीरता से पालन करना होगा। इस संबंध में विभाग प्रमुख को भी निर्देशित किया गया है। याचिकाकर्ता ने बताया कि विभाग प्रमुख द्वारा शासन के निर्देश की धज्जियां उड़ाई जा रही है। उनके प्रकरण में भी नियमों व प्रविधान का पालन नहीं किया जा रहा है। प्रविधान के संबंध में जानकारी देने और शासन का आदेश दिखाने के बाद भी स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया गया है।

शासन के दोनों निर्देशों का नहीं हो रहा पालन

याचिकाकर्ता ने बताया कि 12 अगस्त 2022 को राज्य शासन द्वारा जारी स्थानांतरण नीति के पैरा 1.6 में यह स्पष्ट प्रविधान किया गया है कि दिव्यांग शासकीय सेवकों की पदस्थापना आवागमन की दृष्टि से सुविधाजनक स्थान पर की जानी है। शासन के स्थानांतरण नीति का भी अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस साहू ने दिव्यांग याचिकाकर्ता को राहत देते हुए स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दिया है। साथ ही विभागीय अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

Posted By: Yogeshwar Sharma

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