Chaitra Navratri 2023: बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। शक्ति का पर्व नवरात्र 22 मार्च से शुरू होगा। नौ दिनों तक शहरवासी माता की भक्ति में लीन रहेंगे। फूल से लेकर पूजा सामग्री, चुनरी, भोग-प्रसाद एवं मंदिरों में रंग-रोगन का काम अंतिम चरण में है। प्रथम दिवस स्थापना के साथ मनोकामना ज्योतिकलश प्रज्जवलित होंगे। घरों व मंदिरों में जवारा बोए जाएंगे।

मंदिरों में चल रही तैयारी

देवी आस्था का पर्व नवरात्र को लेकर हिंदू परिवारों में इस साल जबरदस्त उत्साह है। कोविड-19 महामारी का खतरा भी टल चुका है। मंदिरों में साज-सजावट का काम चल रहा है। कहीं रंगाई-पुताई तो कहीं मातारानी के लिए आकर्षक आभूषण खरीदे जा रहे हैं। घर से लेकर प्रमुख देवी मंदिरों में एक समान स्थिति है। नवरात्र की शुरुआत के साथ नए संवत्सर की शुरुआत भी होगी। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन की रहेगी। किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। इससे पर्व अखंड रहेगा। नौ दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना होगी।

हर रूप का है अलग महत्व

नौ दिन देवी के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा होती है। माता के हर रूप का अपना महत्व है और इनके स्वरूप की विशेष पूजा से खास मनोकामना की पूर्ति होती है। आदि शक्ति मां महामाया रतनपुर सहित शहर प्रमुख देवी मंदिरों में ज्योतिकलश प्रज्जवलित होंगे। 30 मार्च को रामनवमी के साथ समापन होगा। हिंदू संगठनों और समाजसेवी संगठन भी सक्रिय हैं। बैनर-पोस्टर के साथ साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ज्योतिकलश प्रज्जवलित करने पंजीयन भी मंदिरों में जारी है।

प्रमुख देवी मंदिरों में ज्योतिकलश

मंदिर --- स्थान --- ज्योतिकलश (लक्ष्य)

मां महामाया --- रतनपुर --- 31 हजार

मां काली --- तिफरा --- 3100

डिडनेश्वरी देवी --- मल्हार --- 3100

मां महामाया --- गणेश नगर --- 2100

मां दुर्गा --- दयालबंद --- 1100

मां नष्टी भवानी --- शंकर नगर --- 1100

दुर्गा मंदिर --- जरहाभाठा --- 1100

मां महामाया --- बैमा नगोई --- 801

त्रिपुर सुंदरी --- न्यू लोको --- 501

हरदेव लाल --- शनिचरी --- 351

सतबहनिया --- देवरीखुर्द --- 301

सतबहनिया --- सरकंडा --- 301

संतोषी --- लिंक रोड --- 101

भक्तों के पास पहुंच रहा आमंत्रण

देवी आस्था का पर्व इस साल खास अंदाज में मनाने के लिए हिंदू संगठन जुट गए हैं। सदस्यों की ओर से हिंदू परिवारों को आमंत्रण भी भेजा जा रहा है। इंटरनेट के माध्यम से लोगों को ई-कार्ड के अलावा घर-घर जाकर भी आमंत्रण दिया जा रहा है। मंदिर में परिवार सहित पहुंचने पूजन व उत्सव भाग लेने कहा जा रहा है। यह पहली बार है जब इतने वृहद रूप से सदस्य जुटे हुए हैं।

मां महामया मंदिर, रतनपुर

नवरात्र पर मां महामाया के दर्शन के बिना पर्व अधूरा है। मान्यता है कि यहां नवरात्र पर दर्शन करने वाले हर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सप्तमी पर सबसे अधिक भीड़ उमड़ती है। पदयात्रा कर भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। भक्तों के आने से पहले ट्रस्ट द्वारा मंदिर को भव्य रूप से सजाया जा रहा है।

दुर्गा मंदिर, दयालबंद

चैत्र नवरात्र को लेकर मंदिर में रंग रोगन का काम लगभग पूरा हो चुका है। मंदिर का निर्माण हुए लगभग 25 वर्ष हो चुके हैं। यहां से जुड़ी मान्यता है कि नवरात्र में आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता। माता अपने भक्तों पर कृपा करती हैं। इस साल भी जबरदस्त तैयारी चल रही है।

हरदेव लाल मंदिर, शनिचरी

शनिचरी बाजार स्थित हरदेव लाल मंदिर में मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की परंपरा है। चैत्र और शारदीय नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है। विगत 20 वर्षों में यहां नवरात्र पर भक्तों के आने का सिलसिला तेजी से बढ़ा है। मातारानी के दर्शन करने वाले भक्त साल भर बीमार नहीं पड़ते। घर में सुख समृद्धि का वास होता है।

मां काली मंदिर, तिफरा

मां काली मंदिर को बिलासपुर का सबसे पुराना मंदिर है। रायपुर रोड पर स्थित इस मंदिर में हर आने-जाने वाला यहां सिर जरूर झुकाता है। मान्यता है कि नवरात्र में माता रानी भक्तों की पुकार जल्द सुन लेती है। माता का दिव्य स्वरूप देखने बड़ी भीड़ जुटती है। समिति द्वारा आकर्षक विद्युत सज्जा की जा रही है।

मां नष्टी भवानी, शंकर नगर

चुचुहियापारा रेलवे अंडरब्रिज के पास मां नष्टी भवानी का मंदिर स्थित है। चैत्र नवरात्र पर मान्यता है कि यहां दर्शन करने वाले भक्त कर्ज मुक्त हो जाते हैं। माता की ऐसी कृपा बरसती है कि घर में धन का आगमन होने लगता है। पूजन करने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं। इस साल भी मंदिर को भव्य रूप से संवारा जा रहा है।

Posted By: Abrak Akrosh

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