Chhattisgarh High Court: राधाकिशन शर्मा.बिलासपुर(नईदुनिया)। ससुर को दहेज प्रताड़ना और दुष्कर्म के फर्जी आरोप में जेल भेजने और बाद में हाई कोर्ट में समझौता करने वाली नवविवाहिता पर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि फर्जी आरोप लगाने की इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद करते हुए अपीलकर्ताओं को दोषमुक्त कर दिया है।

नवविवाहिता ने ससुर पर दुष्कर्म, छेड़छाड़ और दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। दुष्कर्म प्रमाणित नहीं हुआ किंतु वादी के बयान के आधार पर ससुर को दहेज प्रताड़ना व छेड़छाड़ की दो अलग-अलग धाराओं में बेमेतरा जिला न्यायालय ने दो वर्ष की सजा सुनाई थी। बाद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ और प्रकरण हाई कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने कहा कि महिला अपना पारिवारिक जीवन आगे बढ़ाना चाहती है तो उचित है परंतु पुलिस को यह देखना चाहिए कि धारा 376, 354 के साथ 498 ए का दुरुपयोग न किया जाए। किसी की शिकायत के आधार पर बिना जांच किए ऐसा प्रकरण न बनाया जाए। कोर्ट ने महिला की अपील पर उसके पति, सास व ससुर की सजा निरस्त कर दी है। बेरला निवासी नीलम व संदीप खत्री ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील पेश की थी।

क्या है मामला

संदीप एवं नीतू की 14 मई 2014 को शादी हुई थी। पति पत्नी और ससुराल वालों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया। आपसी समझाइश के बाद विवाद सुलझ गया। छह साल बाद एक बार फिर विवाद की स्थिति बनी और आठ जुलाई 2020 को नीतू ने पति, सास व ससुर के खिलाफ बेमेतरा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। दो सितंबर 2020 को तीनों के खिलाफ पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर ली थी।

Posted By: Abrak Akrosh

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