बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले से उद्योगपतियों को राहत मिली है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बिलासपुर नगर निगम की सीमा में आने के बाद का टैक्स याचिकाकर्ता उद्योगपतियों को पटाना पड़ेगा। इसके पहले का टैक्स लेने का निगम अधिकारी नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी है कि उद्योगपति टैक्स जमा करेंगे।

कृष्णा आटो राइडर्स, मेसर्स छाबड़ा मार्बल व मेसर्स छाबड़ा इंडस्ट्रीज ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की थी। इसमें याचिकाकर्ता उद्योगपतियों ने नगर निगम द्वारा संपत्ति कर की वसूली के लिए जारी नोटिस को चुनौती दी थी। याचिका में जानकारी देते हुए बताया था कि निगम सीमा में शामिल होने से पहले तिफरा व सिरगिट्टी औद्योगिक इकाइयां पहले ग्राम पंचायत और उसके बाद सिरगिट्टी नगर पंचायत व तिफरा नगरपालिका सीमा के भीतर था। राज्य शासन के निर्देश के बाद तिफरा व सिरगिट्टी नगरपालिका व नगर पंचायत की सीमा को बिलासपुर नगर निगम सीमा में शामिल करते हुए वार्ड का गठन किया गया है।

निगम सीमा में औद्योगिक इकाइयों के शामिल होने के बाद बिलासपुर नगर निगम ने औद्योगिक इकाइयों को नोटिस जारी कर 15 साल का संपत्तिकर जमा करने के निर्देश दिए थे। संपत्तिकर जमा न करने पर आवश्यक कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। याचिकाकर्ता औद्योगिक इकाइयों ने अपनी याचिका में कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम और उद्योग विभाग के द्वारा परिसर में जरूरी सुविधा मुहैया कराई जाती है। आधारभूत संरचना के विकास में भी दोनों विभाग द्वारा फंड खर्च किया जा रहा है। निगम सीमा में शामिल होने के बाद से निगम प्रशासन द्वारा आजतलक विकास कार्य के नाम पर फूटीकौड़ी खर्च नहीं की गई है। 15 साल का टैक्स वसूली के लिए अफसर दबाव बना रहे हैं। इससे औद्योगिक परिक्षेत्र में अराजक माहौल बन रहा है।

उद्योगपतियों ने सीएम को लिखा है पत्र

नगर निगम द्वारा संपत्तिकर की वसूली के लिए बनाए जा रहे दबाव के बीच छत्तीसगढ़ लघु एवं सहायक उद्योग संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर औद्योगिक परीक्षेत्र में निगम द्वारा बनाए जा रहे दबाव के कारण औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होने की बात भी कही थी। साथ ही इसे निगम सीमा से अलग स्वतंत्र औद्योगिक इकाई घोषित करने की मांग भी की थी। सीएम ने संघ की मांग को गंभीरता से लेते हुए लघु उद्योगों को संपत्ति कर से अलग रखने की बात कही है। सीएम की घोषणा के बाद नियम बनाने होंगे। इसके बाद ही यह प्रभावशील होगा। तब तक औद्योगिक इकाइयों को संपत्तिकर के रूप में राशि जमा करनी होगी।

Posted By: Abrak Akrosh

छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़
  • Font Size
  • Close