बिलासपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। तालापारा और तारबाहर में पनप चुके डायरिया की मुख्य वजह नगर निगम की बदइंतजामी बना है। पानी सप्लाई के तहत बिछाई गई पाइपलाइन नालियों के अंदर से होकर गुजर रही है। पुरानी पाइपलाइन होने की वजह से सैकड़ों जगह पर लीकेज है, जिसकी वजह से नालियों का दूषित पानी घरों में पहुंच रहा हैं। इसे लोग पी रहे हैं और इसी का परिणाम यह है कि देर सबेर लोग डायरिया से पीड़ित होने लगे हैं। अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चली है।
इसी वजह से शहरी क्षेत्र में चार दिन में चार मौत हो चुकी है, जिनमें से दो तालापारा के हैं। वहीं यहां 100 से ज्यादा उल्टी, दस्त से पीड़ित चल रहे हैं। तमाम प्रयासों के बाद भी स्थिति बनने के बजाय बिगड़ते ही जा रही है और लगातार मरीज सामने आ रहे हैं।
चार दिन पहले सिरगिट्टी और सरकंडा क्षेत्र की दो महिलाओं की मौत सिम्स में हुई थी। उन्हें लगातार उल्टी, दस्त हो रहा था। इसमें चिकित्सकों ने भी आशंका जताई कि दूषित पानी पीने की वजह से महिलाएं डायरिया से पीड़ित हुई रही होंगी। इसके बाद तालापारा और तारबाहर क्षेत्र में उल्टी, दस्त के कुछ मामले सामने आए तो स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ और सर्वे और जांच के माध्यम से मरीज खोजने और उनके उपचार का सिलसिला शुरू किया गया।
जैसे ही टीम तालापारा और तारबाहर में पहुंची, वैसे ही टीम सकते में आ गई। यहां एक के बाद एक डायरिया के मरीज मिलते गए। ऐसे में टीम लगातार दिनों में प्रभावित क्षेत्र में शिविर लगाकर आवश्यक दवाओं का वितरण कर रही है। लेकिन, डायरिया के मामले कम होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं।
मरीजों की जांच करने वाले चिकित्सकों ने भी दूषित पानी के सेवन से बीमार होने की आशंका जताई। साथ ही पीएचई व नगर निगम को पानी का सैंपल लेने की बात कही। वहीं जब प्रभावित क्षेत्र में डायरिया फैलने की वजह की जांच शुरू की गई तो यह बात सामने आई कि तालापारा और तारबाहर की अंदरुनी बस्ती और गलियों में सफाई का अभाव मिला। पानी सप्लाई के लिए बिछाई गई पाइपलाइन पुरानी हो चुकी है और सबसे बड़ी बात ज्यादातर पाइप-लाइन नालियों के अंदर से होकर गुजर रही है।
उसमें सैकड़ों लीकेज हैं, जो हर समय दूषित पानी के संपर्क में रहता है और जैसे ही पानी सप्लाई शुरू की जाती है, वैसे ही दूषित पानी इन पाइपलाइन के जरिए घरों में पहुंचने लगता है। वही अब इस दूषित पानी ने एक बार फिर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। इसकी वजह से ही तालापारा और तारबाहर के अंदरुनी क्षेत्र में लोग डायरिया से पीड़ित हो रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी नगर निगम प्रबंधन को नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी समस्या जान रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी पाइपलाइन में सुधार करवाने के दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसी वजह से अब निगम की बदइंतजामी का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
इन कारणों से फैल रहा डायरिया
- पानी सप्लाई के पाइपलाइन में सैकड़ों लीकेज का होना।
- पाइपलाइन का नालियों के अंदर से होकर गुजरना।
- लीकेज पाइपलाइन द्वारा ही घरों में दूषित पानी का पहुंचना।
- बस्तियों के अंदरुनी क्षेत्र के नाली-नालियों की सफाई में कोताही बरतना।
- समय-समय पर पानी की सैंपलिंग न करना।
- बस्तियों की गलियों में जगह-जगह गंदगी का होना।
- अमृत मिशन के तहत पाइपलाइन बिछाने के दौरान लीकेज पाइपलाइन को भी पाट देना।
- निगम द्वारा शहर के पिछड़े क्षेत्रों की उपेक्षा करना।
घर के सभी सदस्य हो रहे पीड़ित
सोमवार को तालापारा में जिस सेलून संचालक की मौत हुई है। उसके परिवार के कई सदस्य डायरिया से पीड़ित हो चुके हैं। तालापारा में हालत यह है कि यदि किसी परिवार का एक सदस्य संक्रमित हो रहा है तो अन्य सदस्य भी संक्रमित हो जा रहे हैं। साफ है कि इन घरों में लगातार दूषित पानी पहुंच रहा है। इसकी वजह से लोग बीमार पड़ रहे हैं।
कई निजी अस्पताल में भर्ती
तालापारा निवासी रहमान खान ने जानकारी दी कि मोहल्ले में कई ऐसे डायरिया पीड़ित भी हैं, जिनका रिकार्ड स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं पहुंचा है। क्योंकि कई पीड़ितों का उपचार निजी अस्पतालों में चल रहा है। उनमें से कई कि हालत गंभीर बनी हुई है। नियंत्रण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।
नियंत्रण के लिए निगम के 80 अधिकारी-कर्मचारियों की लगी ड्यूटी
डायरिया रोकने के लिए नगर निगम देर से जागा है। निगम आयुक्त अजय त्रिपाठी ने सोमवार को प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। वहां तत्काल सभी नाले-नालियों की सफाई करने के निर्देश दिए। तालापारा और तारबाहर के एरिया को 10-10 जोन में बांटकर 80 अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
प्रत्येक जोन में एक टीम को तैनात किया गया है। इसमें एक इंजीनियर, राजस्व निरीक्षक, मितानिन और महिला सुपरवाइजर को शामिल किया गया है। टीम प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक घर में दिन में दो बार जाकर सर्वे कर रहे हैं। गंभीर होने की दशा में तत्काल सिम्स या जिला अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा पूर्व से जारी क्लोरिन टेबलेट के वितरण का कार्य करते हुए लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने की कोशिश की जा रही है।
तालाब वाले क्षेत्र का हवाला देकर निगम कर रहा बचाव
नगर निगम प्रबंधन के मुताबिक तालापारा और तारबाहर में तालाब से लगे क्षेत्रों में डायरिया के केस अधिक होने की जानकारी दी जा रही है। इसलिए इन क्षेत्रों के लोगों को तालाब के पानी का किसी भी प्रकार के उपयोग नहीं करने की समझाइश दी जा रही है। जबकि डायरिया तालापारा व तारबाहर के अंदरुनी क्षेत्र में फैला हुआ है।
मेडिकल मोबाइल यूनिट को किया गया है तैनात
डायरिया प्रभावित क्षेत्र तालापारा और तारबाहर में दो दिनों से मेडिकल मोबाइल यूनिट के माध्यम से शिविर लगाया जा रहा है। इसमें डायरिया के मरीजों समेत क्षेत्र के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा है और निश्शुल्क दवाइयों का वितरण भी किया जा रहा है। स्वास्थ्य शिविर में नगर निगम के चिकित्सक भी अपनी सेवाएं दें रहे हैं।
ऐसे करें डायरिया से बचाव
- पानी में क्लोरिन डालकर या उबालकर पानी का सेवन करें।
- ओआरएस का घोल समय-समय पर लेते रहें।
- सुपाच्य व हल्का भोजन ग्रहण करें।
- घर के आसपास व नालियों की सफाई करवाएं।
- उल्टी-दस्त के लक्षण आते ही चिकित्सक से संपर्क करें।
- बासी भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।
इन्होंने कहा
स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की संयुक्त टीम प्रभावित क्षेत्र में काम कर रही है। लगातार लोगों की जांच की जा रही है। उल्टी, दस्त के मरीज मिलने पर उनके उपचार की व्यवस्था की जा रही है। स्थिति जल्द ही नियंत्रण में आ जाएगा।
डा. प्रमोद महाजन, सीएमएचओ
Posted By: anil.kurrey