बिलासपुर(नईदुनिया न्यूज)। आज देश का बहुत बड़ा वर्ग संवैधानिक जानकारी से अनभिज्ञ है। संविधान की जानकारी के लिए जन जागरूकता शिविर लगाना एवं समय-समय पर संविधान की जानकारी और लोगों को अपने अधिकार के बारे में बताना जरूरी है। प्रगतिशील लेखक संघ की परिचर्चा में मुख्य रूप से यह बात उभर कर सामने आई। संविधान की उद्देशिका सविता शर्मा ने पढ़ी।
असीम तिवारी ने कहा कि आज भी भेदभाव जारी है। महिलाओं के एक बहुत बड़े वर्ग को अपने ही अधिकारों के बारे में नहीं मालूम। संविधान क्या होता है बहुत से लोग नहीं जानते। संविधान की रचना वास्तव में एक आंदोलन के रूप में की गई थी। लोगों को संविधान से अवगत कराना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह हसदेव के लिए अभी आंदोलन चल रहा है लोग इस बात से वंचित हैं कि एक फर्जी ग्राम सभा का आयोजन कर एक षड़यंत्र रचा गया। पवन शर्मा ने कहा संवैधानिक मूल्यों की हत्या हो रही है। जनता को जागरूक करना जरूरी है। अब समय है कि जनवादी मूल्यों को खड़ा किया जाए। राजनीतिक लोगों द्वारा नफरत का माहौल निर्मित किया जा रहा है।
इसके लिए संवैधानिक जागरूकता जरूरी है। अधिवक्ता संदीप मिश्रा ने कहा कि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है और यह अत्यंत लचीला है। इसमें अब कुछ संशोधन जरूरी हो गए हैं। मुशताक मकवाना ने कहा कि संविधान में समानता के अधिकार पर जोर दिया गया है पर संवैधानिक मूल्यों का हनन किया जा रहा है। आज की स्थिति में एक विशेष वर्ग को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है और देश का माहौल बिगाड़ा जा रहा है। डा. सत्यभामा अवस्थी ने कहा भारत का संविधान बहुत पारदर्शी है पर इसका क्रियान्वयन ठीक तरह नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न् स्थानों पर संविधान के अनुच्छेदों के फ्लैक्स व पोस्टर लगाया जाए।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण सोनी ने कहा कि अब यह समय आ गया है कि स्कूल व महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम में संविधान को शामिल करना जरूरी हो गया है ताकि लोगों को बचपन से ही संविधान की जानकारी हो इसे एक अनिवार्य विषय बना बनाया जाए। अधिवक्ता लखन सिंह ने कहा यदि संविधान का आकलन आर्थिक समानता के आधार पर किया जाए तो आज बहुत ही विभिन्न् स्थिति सामने आ रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता सलीम काजी ने कहा कि आज चीन में ही आर्थिक समाजवाद है और सबसे कम एंजायटी की दवाएं चीन में ही बिकती हैं। उन्होंने अनुच्छेद 21 का उदाहरण देते हुए कहा यह जीवन के अधिकार को प्रस्तुत करता है। बाद में इसमें 21च के तहत शिक्षा का अधिकार भी जोड़ा गया।
Posted By: Abrak Akrosh
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