बिलासपुर।Bilaspur News: अंबिकापुर उदयपुर वन परिक्षेत्र के खरसुरा और खोन्दला गांव के ग्रामीण पिछले दहशत में रात गुजार रहे हैं। इसकी वजह मादा भालू की वे दो बच्चे जिनकी दो दिन पहले कुत्तों की हमले में मौत हो गई। हालांकि वन विभाग बच्चों की मौत की वजह ठंड को बता रहा है लेकिन स्थानीय ग्रामीणों की माने तो मादा भालू के एक माह के दोनों बच्चों को तीन कुत्तों ने हमला कर मार डाला।
घटना के बाद ग्रामीण वहां पर पहुंचे तो तीन कुत्ते मौके पर डटे हुए थे जो ग्रामीणों पर भी हमला करने का प्रयास किए। बड़ी मुश्किल से कुत्तों को वहां से भगाया गया लेकिन दोनों बच्चों को नहीं बचाया जा सका। पिछले एक महीने से गांव के किनारे खेत के गड्ढे में यह दोनों बच्चे ग्रामीणों की देखरेख में पल रहे थे। रोज शाम को मादा भालू पास के जंगल से आकर इन बच्चों की देखरेख करती और सुबह होने से पहले वहां से चली जाती थी।
चलने फिरने लायक हो चुके बच्चे शायद कुछ दिनों में अपनी मां के साथ जंगल की ओर चले जाते लेकिन इससे पहले यह घटना हो गई। इस घटना के बाद अपने बच्चों की तलाश में मादा भालू आसपास के इलाकों में अपना गुस्सा निकाल रही है। जिस जगह पर दोनों बच्चे थे उसके आसपास मादा भालू के पंजों के जगह-जगह खरोचने के निशान मिले हैं। वहां से करीब सौ मीटर दूर कुछ घर हैं जहां के ग्रामीण भय के कारण शाम होने से पहले अपने घरों में चले जाते हैं। सभी मादा भालू की आक्रामकता को लेकर दहशत में है।
गौरतलब है कि उदयपुर के खरसुरा और खोन्दला गांव के बीच 16 दिसंबर के आसपास पास के जंगल से मादा भालू ने दो बच्चों को छोड़ दिया था। इसके बाद वहां के ग्रामीण इन दोनों बच्चों की देखभाल कर रहे थे। बीच में वन विभाग ने कुछ सुरक्षा के उपाय जरूर कर दिए थे लेकिन उनकी देखरेख गांव के एक ग्रामीण मंत्री पोर्ते के जिम्मे थी। जो रोज इन बच्चों को बोतल से दूध पिलाता था।
शुरुआती दिनों में जहां बच्चे बोतल से करीब आधा लीटर दूध पी लेते थे वे धीरे-धीरे बड़े होने के बाद करीब एक लीटर दूध दिन भर में पी जाते थे। बच्चे स्वस्थ और मजबूत हो गए थे।आपस में उनका खेलना, लड़ना ग्रामीणों को भा रहा था। इसे देखने रोज वहां भीड़ जुटती थी। लेकिन उनकी मेहनत पर पानी फिर गया जब शुक्रवार को सुबह पास के गांव से पहुंचे तीनों ने दोनों बच्चों को हमला कर मार डाला।
वन विभाग ने दोनों बच्चों का पोस्टमार्टम कराया और यह कह दिया कि दोनों बच्चों की मौत ठंड की वजह से हुई है। अब दोनों बच्चों की मौत को लेकर अलग-अलग कारण सामने आने से विवाद खड़ा हो गया है, लेकिन ग्रामीणों की माने तो दोनों बच्चों की मौत कुत्तों के हमले से हुई है। वन विभाग ठंड की वजह से भालू के दोनों बच्चों की मौत बता इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया है।
विशेष देखभाल वाले जानवरों की श्रेणी में हैं भालू
सरगुजा जिले के अलग-अलग इलाकों में मिलने वाले जंगली भालू शेड्यूल वन की श्रेणी में आते हैं। राज्य वन्य प्राणी बोर्ड सदस्य अमलेंदु मिश्रा के अनुसार भालू सहित कुछ और जानवर शेड्यूल वन की श्रेणी में आते हैं। इस श्रेणी के जानवरों के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। बहरहाल इस श्रेणी में आने वाले जानवरों के बच्चों की देखभाल के लिए कितना प्रयास उदयपुर के इलाके में हुआ है, यह वहां के लोग बता सकते हैं।
एक महीने तक बच्चे वहां पड़े रहे लेकिन विभाग के किसी भी उच्च अधिकारी ने वहां झांकने तक की जहमत नहीं उठाई। घटना के बाद भले ही अधिकारी मौके पर पहुंचे लेकिन उनके सुरक्षा और देखभाल के लिए यदि लगातार मॉनिटरिंग होती तो शायद यह घटना नहीं होती।
रोज रात में आ रही है मादा भालू
गांव के ग्रामीण बताते हैं कि दोनों बच्चों की मौत के बाद रात में मादा भालू वहां पहुंच रही है और बच्चों के नहीं मिलने के कारण वह आक्रमक होकर जगह-जगह अपने नाखूनों से खरोंच रही है। यह शायद बच्चों के नहीं मिलने का दुख और गुस्सा भी है। ग्रामीण मंत्री पोर्ते, धरम, बिरछा राम सहित अन्य लोगों ने बताया कि घटना के बाद रात में भालू के आने की खबर है और इस कारण वे शाम होते ही अपने घरों में चले जाते हैं।
जहां पर बच्चे थे वह बस्ती से करीब सौ से डेढ़ सौ मीटर दूर है इस कारण से वहां शाम होने के बाद कोई नहीं जाता। क्योंकि वहां मादा भालू के रहने और उसके हमले की आशंका रहती है।
Posted By: anil.kurrey
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