बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। फायर सीजन शुरू होते ही वन विभाग की चिंता बढ़ गई है। वन अमले को पूरी तरह सतर्कता के साथ ड्यूटी में तैनात रहने का निर्देश दिया गया है। वहीं, फायर वाचर भी नियुक्त किए जा रहे हैं।
इन तमाम उपायों के अलावा विभाग अब पांपलेट, बैनर-पोस्टर व बैठक आयोजित कर ग्रामीणों व राहगीरों से अपील कर रहा है कि जंगल को आग से बचाने के लिए सहयोग करें। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि जंगल में आग लगाना दंडनीय अपराध है। इस अपराध में जेल हो सकती है और 15 हजार रुपये जुर्माना भी हो सकता है।
पांपलेट, बैनर-पोस्टर व बैठक सभी में ग्रामीणों को यह समझाया जा रहा है कि आग वनों का सबसे बड़ा शत्रु है। यह देखते ही देखते घास, पौधे, वन्य प्राणी, वृक्ष सभी को नुकसान पहुंचाती है। आग की वजह से भूमि की नमी समाप्त हो जाती है और वह कठोर हो जाती है।
जिससे जंगल में बीज भी आसानी से नहीं पनप पाती। इसकी सुरक्षा करना हम सभी का दायित्व है। इसलिए महुआ फूल, साल-बीज व अन्य उपज इकठ्ठा करने के लिए पेड़ के नीचे या आसपास न लगाएं। खाना पकाने के लिए जंगल में कभी भी आग नहीं जलाएं। इसके साथ ही जंगल के रास्ते से गुजर रहे हैं तो बीड़ी, सिगरेट जलते हुए कभी भी फेंकी।
जंगल में आग लगने की यह एक बड़ी वजह है। वनों के निकट के खेतों में भी आग लगाने से बचें। गुजरते समय यदि आग लगी है तो उस पर रेत डालकर बुझाने का प्रयास करें। उनकी यह छोटी सी कोशिश जंगल की नुकसान को बचा सकती है। यदि वह आग बुझाने में सक्षम नहीं है तो वन रक्षक या परिक्षेत्र सहायक और सुरक्षा समितियों को जानकारी दें। उनकी सूचना से भी आग पर तत्काल काबू पाया जा सकता है।
उन्होंने यह भी अपील की है कि यदि कहीं आग लगी है और वन अमला बुझाने का प्रयास कर रहा है तो उनकी अवश्य मदद करें। ग्रामीणों को यह भी समझाइश दी जा रही है कि यदि जंगल में आग जानबूझकर लगाते हैं और वन अमला उसे पकड़ लेता हैं तो भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा के तहत उसे अपराध दर्ज करने का अधिकार है। यदि इस तरह की कार्रवाई होती है तो संबंधित के खिलाफ एक वर्ष की सजा या 15 हजार रुपये जुर्माना भी हो सकता है।
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