बिलासपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों व आम लोगों के लिए राहत भरी खबर है। आपदा के बाद मुआवजा के लिए राज्य शासन ने समय सीमा तय कर दिया है। 15 दिन के भीतर मुआवजा राशि का वितरण करना होगा। तय समय सीमा के बाद राशि का वितरण ना करने पर सीधेतौर पर राजस्व अधिकारी जिम्मेदार होंगे। इसके लिए प्रतिदिन 100 स्र्पये का जुर्माना लगेगा। 30 दिन के लिए 25 हजार स्र्पये तय किया गया है। माना जा रहा है कि शासन की सख्ती के बाद पीड़ितों को राहत मिलेगी।
प्राकृतिक आपदा से पीड़ितों के लिए पूर्व में बनाए गए नियमों में राज्य शासन ने जस्र्री बदलाव कर दिया है। आर्थिक सहायता पहुंचाने के मामले में शासन ने सख्ती बरती है। प्रविधान के अनुसार पीड़ितों को सहायता राशि उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी तहसीलदार की होगी या यूं कहें कि तहसीलदार के अधिकार क्षेत्र में मामला होगा तो 10 दिनों के भीतर पीड़ितों को मुआवजा राशि का वितरण तहसीलदार कार्यालय से होना जस्र्री कर दिया है। तहसीलदार के अधिकार क्षेत्र से बाहर होने और एसडीएम के अधिकार क्षेत्र में आने की स्थिति उनको संभागायुक्त व कलेक्टर से मुआवजा राशि के वितरण के लिए अनुमति लेनी होगी।
पीड़ितों के आवेदन मिलने के 15 दिनों के भीतर मुआवजा राशि का वितरण करना होगा। इसे अनिवार्य शर्त में शामिल किया गया है। तय समय सीमा में प्रकरण का निराकरण ना करने की स्थिति में प्रतिदिन 100 स्र्पये के हिसाब से जुर्माना का भुगतान करना होगा। शासन की इस कड़ाई से आने वाले दिनों में मुआवजा प्रकरण का तय समय सीमा में निराकरण होने के साथ ही पीड़ितों को राहत मिलेगी।
प्राकृतिक आपदा जिस पर मिलेगा मुआवजा
अतिवृष्टि, ओला, पाला, तुषारपात, शीतलहर, सूखा, आंधी-तूफान, भूकंप, भू-स्खलन, बादल फटने, मिट्टी या पहाडों के खिसकने, सुनामी,कीट प्रकोप,लू,अग्नि दुर्घटना से फसल जनहानि, तथा पशुहानि जैसी आपदा से राहत पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। नए नियम को राज्य शासन ने दिसंबर 2022 से लागू कर दिया है।

इनको मिलेगी राहत
अब तक यही व्यवस्था रहती थी कि प्राकृतिक आपदा के दौरान संबंधित गांव या क्षेत्र का राजस्व विभाग द्वारा सर्वेक्षण किया जाता था। इसके बाद प्रकरण बनाए जाते थे। नए प्रविधान में किसी एक व्यक्ति इस तरह के आपदा से प्रभावित होता है तो वह संबंधित विभाग में मुआवजा राशि के लिए आवेदन करने की सुविधा मिलेगी। आवेदन पर विभाग द्वारा जांच कर सर्वे रिपोर्ट तैयार किया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा का वितरण किया जाएगा। इसके लिए 30 दिन की समय सीमा तय की गई है। तय समय सीमा के बाद भी प्रकरण का निराकरण नहीं हुआ तो प्रतिदिन की रिपोर्ट देनी होगी और विलंब का समुचित कारण भी बताना होगा।
बैंक खाते में जमा होगी मुआवजा राशि
प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों या व्यक्तियों को उनके बैंक खाते में राशि जमा कराई जाएगी। सहायता राशि जमा कराने के लिए राज्य सरकार ने अफसरों को वित्तीय अधिकार भी दिया है। संभाग आयुक्त व कलेक्टर को 15 लाख स्र्पये,एसडीएम चार लाख स्र्पये और तहसीलदार को दो लाख स्र्पये तक के मुआवजा राशि वितरण का अधिकार दिया है।
Posted By: Manoj Kumar Tiwari
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