बिलासपुर। Bilaspur News: जमीन में गहराई तक पंप खोदाई करने के साथ ही अन्य स्रोतों से बड़े पैमाने पर भू-जल का व्यावसायिक उपयोग करने वाले उद्योगों से भी अब जल कर की वसूली की जाएगी। केंद्रीय भू-जल बोर्ड ने जिले के ऐसे 21 बड़े उद्योगों को जल का व्यावसायिक उपयोग करने की अनुमति दी है और उन्हें टैक्स जमा करने के लिए सूची बद्ध किया गया है।
केंद्रीय भू-जल बोर्ड ने सिंचाई विभाग को इन उद्योगों की सूची भेजी है, जिनसे टैक्स वसूल किया जाना है। रिपोर्ट आने के बाद सिंचाई विभाग हरकत में आ गया है। इसके लिए इन उद्योगों को इसकी सूचना दी जा रही है। इन उद्योगों को सिंचाई विभाग से अनुबंध के बिना पानी निकालने के कारण तीन गुना जुर्माना पटाने के लिए भी कहा गया है। हालांकि वन टाइम सेटलमेट का विकल्प भी दिया जा रहा है, जिसका अंतिम निर्णय राज्य सरकार करेगी।
इधर जिले में 50 से अधिक ऐसे उद्योग भी हैं जिन्हांेने केंद्रीय भू-जल बोर्ड से अनुमति तक नहीं ली है। इसकी जानकारी जुटाने के लिए सिंचाई विभाग ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। इससे पूरे उद्योग जगत में हड़कंप मचा हुआ है। खारंग जल संसाधन संभाग के कार्यपालन यंत्री आरपी शुक्ला का कहना है कि जलकर वसूली को लेकर राज्य शासन अब सख्ती बरतने लगी है। दरअसल जल का दोहन बेतहाशा हो रहा है।
इसके चलते जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसे देखते हुए टैक्स वसूली में और कड़ाई की जा रही है। केंद्रीय भू-जल बोर्ड ने जिन उद्योगों को टैक्स के लिए सूची बद्ध किया है। उनकी सूची भेजी है। विभाग इन उद्योगों को इसकी सूचना भेज रहा है।
मुफ्त था भू-जल
सिंचाई विभाग अब तक केवल नहर, एनीकट और डायवर्सन से नहर के जरिए पानी देने पर ही जल कर लेता था। बड़े और गहराई तक पंप करके भू-जल का दोहन करने वालों पर कोई टैक्स नहीं लगता था। नए नियम के बाद अब भू-जल भी टैक्स के दायरे में आ गया है।
टैक्स नहीं देने वाले उद्योग होंगे चिन्हित
कार्यपालन यंत्री शुक्ला का कहना है कि नए नियम के बाद अब किसी भी तरह से भू-जल का उपयोग करने के लिए उद्योगों को केंद्रीय भू-जल बोर्ड से एनओसी लेना आवश्यक है। अब अनुमति नहीं लेने वाले उद्योगों का सर्वे किया जाएगा। फिर उन्हें चिन्हित कर नियमानुसार जुर्माना वसूली सहित अन्य कार्रवाई की जाएगी।
Posted By: anil.kurrey
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