बिलासपुर। जिला प्रशासन ने भीषण गर्मी में पशुओं के उपयोग पर रोक लगाई थी। नियम बनाने के बाद अधिकारी मानिटरिंग करना भूल गए। पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। लिहाजा अभी भी पशुओं का उपयोग शादी विवाह से लेकर कई कार्यों में किया जा रहा है। जिले में शासन के नियम का खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
भीषण गर्मी को देखते हुए क्रूरता निवारण समिति ने पशुओं के उपयोग पर रोक लगाई है। तेज धूप के कारण पशुओं के बीमार होने या उनकी जान का खतरा बताया गया है।
यह आदेश कलेक्टर डा. सारांश मित्तर ने छह मई को जारी किया था। लेकिन कलेक्टर और जिला पशुता क्रूरता निवारण समिति इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में पशु स्वामी भारवाहक पशुओं का उपयोग कर रहे है। कलेक्टर और क्रूरता समिति के आदेश को दरकिनार कर नियमों की खुलेआम अवहेला की जा रही है। इन दिनों जिले में भीषण गर्मी भी पड़ रही है। इसके बावजूद कुछ किसान या पशु स्वामी भारवाहक पशुओं पर सामग्री रखकर या सवारी कर परिवहन करते हैं।
छह मई से 30 जून तक प्रभावशील रखने का दिया आदेश
कलेक्टर एवं जिला क्रूरता निवारण समिति के अध्यक्ष डा. सारांश मित्तर ने दोपहर से पशुओं के उपयोग पर रोक लगाई है। 12 बजे से तीन बजे तक पशुओं का किसी भी प्रकार के उपयोग नहीं करने के निर्देश दिए हैं। भीषण गर्मी के कारण पशु बीमार हो सकते हैं या उनकी मृत्यु हो सकती है। इसको मद्देनजर जिले की सीमा में पशुओं की सहायता से चलने वाले सभी साधन जिसमें भारवाहन या सवारी परिवहन के कार्य किए जाते हैं वह प्रतिबंधित रखने का आदेश जारी किया है। जिला प्रशासन पशुओं के उपयोगिता को सीमित किया गया है। यह आदेश छह मई से 30 जून तक लागू रखने कहा गया है। लेकिन कलेक्टर और जिला क्रूरता समिति के पदेन अध्यक्ष कलेक्टर के आदेश बेअसर साबित हो रहा है।
Posted By: Abrak Akrosh
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