Bilaspur News: बिलासपुर। फ्रांस की कंपनी लार्ड दासो फाउंडेशन ने देश में कार्यरत अपनी कंपनी के कर्मचारियों को बिलासपुर के एक बाल विज्ञानी का उदाहरण देकर खास अंदाज में मोटिवेट किया है। कंपनी ने अधिकारी से लेकर कर्मचारियों को पत्र लिखकर गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के बाल विज्ञानी मोहनीश ध्रुव की सफलता की कहानी बताई है।

झोपड़ी से पीएम से वार्तालाप तक के सफर, अभाव के बावजूद मन के पक्के मोहनीश ने ऐसा नवाचार किया कि देश और दुनिया में उनका नाम हो रहा है। प्रधानमंत्री ने बात की और नवाचार को सराहा। कंपनी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने आगे लिखा है कि काम के प्रति समर्पण हो तो मोहनीश बना जा सकता है। कंपनी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने नईदुनिया की खबर को भी अपने पत्र का हिस्सा बनाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई को देश के सात बाल विज्ञानियों से बात की थी। कंपनी ने अपने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए लिखा है कि ऐसे बच्चे जो गरीब हैं और प्रधानमंत्री तक पहुंच रहे हैं ओर बात कर रहे हैं यह प्रेरक है। यह झोपड़ी से प्रधानमंत्री से बातचीत का कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार सफर है।

ऐसे बच्चे आगे बढ़ते हैं तो अच्छा लगता है। देश के लिए अच्छा है। गर्वनमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल दयालबंद के अटल टिंकरिंग लैब के प्रभारी डा धनंजय पांडेय को श्रेय देते हुए लिखा है कि मोहनीश को एक ऐसा गुरु मिला है जो इनको आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इनका नाम डा धनंजय पांडेय है।

सही मायने में मोटिवेशनल तो यही हैं। ऐसे मार्गदर्शक शिक्षक मिलना गर्व की बात है। कंपनी के चेयरमैन ने अपने पत्र में नईदुनिया में प्रकाशित खबर का ना केवल जिक्र किया है वरन उसकी कापी भी पोस्ट किया है। कंपनी के ऐसे अधिकारी व कर्मचारी जिनको हिंदी नहीं आती है उनके लिए नईदुनिया में प्रकाशित खबर को अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है।

हिन्दुस्तान की चमकदार तस्वीर है

फ्रांस की राफेल बनाने वाले कंपनी लार्ड दासो के इंडिया चेयरमैन मोगलसे सुदर्शन ने कंपनी के अधिकारी व कर्मचारी को इस बात का विशेषतौर पर जिक्र करते हुए लिखा है कि चैलेंजिंग बैकग्राउंड से जो बच्चे आ रहे हैं वह हिन्दुस्तान के लिए अच्छी बात है। ऐसे बच्चों की ताकत से हिन्दुस्तान और आगे तरक्की की राह पर मजबूत कदम बढ़ाएगा।

इंटरनेट कैफे में काम करता है मोहनीश

मोहनीश ग्यारहवी कक्षा का छात्र है। स्कूल में पढ़ाई और एटीएल में नवाचार के बाद पार्ट टाइम जाब भी करता है। वह इंटरनेट कैफे में काम करता है। बाल विज्ञानी गरीब परिवार से है। पिता मजदूर है और मां हास्टल में भोजन बनाने का काम करती है। पार्ट टाइम जाब कर मोहनीश अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठाता है। स्वावलंबन की दिशा में भी एक मजबूत कदम बढ़ा रहा है।

Posted By: Yogeshwar Sharma

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