बिलासपुर। Rice Procurement : जांजगीर-चांपा जिले में धान खरीदी के अंतिम दिनों में होने वाले बारदाना संकट की समस्या से विभाग को इस बार खरीदी शुरु होने से पहले ही जूझना पड़ रहा है। 80 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य जिले में रखा गया है। इतना धान खरीदने के लिए दो करोड़ बारदाने की जरूरत पड़ेगी। यानी एक करोड़ पुराना और एक करोड़ नए बारदाने की जरूरत होगी।
पुराने बारदाने को तो विभाग ने किसी तरह जुटा लिया है, मगर नए बारदानों का गंभीर संकट बना हुआ है। करीब 40 लाख बारदाने कम पड़ेंगे। इसकी पूर्ति इस साल प्लास्टिक बोरों से की जाएगी। किसानों का धान प्लास्टिक बोरों से भी खरीदी जाएगा।
जिले के 222 केंद्रों में आठ दिन बाद धान खरीदी शुरु होनी है। ऐसे में पर्याप्त बारदाने उपलब्ध नहीं होने से खरीदी प्रभावित हो सकती है। खरीदी भी देरी से शुरु हो रही है। ऐसे में शुरुआत से ही भरपूर आवक होगी क्योंकि किसानों ने धान समेट लिया है और खरीदी का इंतजार कर रहे हैं। खरीदी शुरु होने में महज आठ दिन बाकी हैं, लेकिन अब तक समितियों और उपार्जन केंद्रों में बारदाना नहीं पहुंचा है।
मार्कफेड के अधिकारी मिलर्स, पीडीएस और जूट कमिश्नर से बारदाने जुटाने में लगा हुआ है। मार्कफेड के अफसर दावा कर रहे हैं कि जिले में बारदाने की स्थिति बेहतर है। 80 लाख बारदाना मिलर्स से मिलेगा। इतने बारदाने विभाग ने मिलर्स के पास से सत्यापित कर लिए हैं। इसी तरह पीडीएस का भी 17 लाख बारदाना आएगा। इसके अलावा 65 लाख जूट बारदाने भी मिलेंगे।
इसमें से साढ़े 27 लाख बारदाने मिल चुके हैं। बाकी खरीदी के बीच में मिलेगा। इस तरह एक करोड़ 60 लाख बारदाने का इंतजाम को लेकर अधिकारी चल रहे हैं। बाकी 40 लाख बारदाने प्लास्टिक का उपयोग किया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते ही इस बार जूट मीलें बंद रहने से जूट बारदानों की कमी हो गई है।
बारिश हुई तो प्लास्टिक बोरों का धान बचाना हो जाएगा मुश्किल
सरकार को इस बार खरीदी से पहले ही बारदाना संकट से जूझना पड़ रहा है। इसको देखते हुए ही प्लास्टिक बोरों में धान खरीदी की जाएगी। मगर, इसमें बड़ी समस्या उपार्जन और संग्रहण केंद्रों में धान को बचाने की होगी। अगर बारिश हुई और प्लास्टिक बारदाने भीगे, तो चावल जल्दी सड़ जाएंगे।
फिर इसमें से एक दाना धान नहीं उठेगा। जूट बारदाने में नुकसान कम होता है। ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं शुरुआत में ही प्लास्टिक बोरों का इस्तेमाल कर लिया जाएगा, ताकि जल्द ही उपार्जन केंद्रों से उठाव हो सके।
आठ दिन बाद खरीदी, उपार्जन केंद्रों में बदहाली
जिले में आठ दिन बार धान खरीदी शुरु होनी है, लेकिन अब तक उपार्जन केंद्रों में कोई इंतजाम नहीं हुए हैं। केंद्रों में ताला लटका हुआ है। पिछले साल हुई खरीदी के दौरान गिरा धान अभी भी बिखरा पड़ा है। घास-फूस उगे हैं। इधर मुख्य सचिव ने 25 दिसंबर तक हर हाल में इंतजाम पूरे करने निर्देश दिए हैं। नोडल आफिसर अश्वनी पांडेय के मुताबिक, सभी समितियों से चेक लिस्ट मांगा ली गई है और 25 तक सभी इंतजाम कर लेंगे।
इस बार 222 केंद्रों से होगी खरीदी
जिले में 13 उपार्जन केंद्र इस साल बढ़ गए हैं। इस बार 222 केंद्रों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी होगी। समितियों की संख्या भी 121 से बढ़कर 196 हो गई हैं। पिछले साल 209 केंद्रों से खरीदी हुई थी।
19 हजार नए किसान बेचेंगे धान
जिले में इस साल 19 हजार नए किसान बढ़ गए हैं। इस साल कुल एक लाख 88 हजार 326 किसानों ने पंजीयन कराया है। इसमें 19 हजार 435 नए किसान हैं। पिछले साल पंजीकृत किसानों की संख्या एक लाख 73 हजार थी। जिसमें दो लाख 69 हजार 54 किसानों ने ही धान बेचा था।
तीन हजार हेक्टेयर कम हो गया रकबा
जिले में इस साल तीन हजार हेक्टेयर धान का रकबा कम हुआ है। पिछले साल दो लाख 19 हजार 521 हेक्टेयर धान का रकबा था, जो इस साल दो लाख 16 हजार 515 हेक्टेयर हो गया है। गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर यह रकबा कम हुआ है। इस बार मेढ़, पड़त भूमि को घटा दिया गया है।
डीएमओ सुनील राजपूत ने बताया कि जिले में बारदाने की स्थिति अच्छी है। दो करोड़ बारदाने की जरूरत पड़ेगी। पीडीएस और मिलर्स का बारदाना सत्यापित हो चुका है। जूट कमिश्नर से भी साढ़े पांच हजार गठान मिल चुका है। बाकी साढ़े सात हजार गठान खरीदी के बीच में मिल जाएंगे। चार हजार गठान प्लास्टिक बारदाने से भी खरीदी होगी।
Posted By: Shashank.bajpai
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