दंतेवाड़ा। अरनपुर ब्लास्ट में बलिदान होने वाले जवानो में बड़े गडरा ग्राम पंचायत के कवासी पारा के भी दो जवान थे।दोनों जवानो की चिता एक ही श्मशान पर लगाई गई थी। पूरा गांव राजू करतम अमर रहे जगदीश अमर रहे के नारे लगा रहा था।

दोनों एक कि मोहल्ले के रहने वाले थे दोनों गोपनीय सैनिक थे।जिसमे राजू करतम विवाहित था। जिसकी पत्नी रेशमा पति के चिता के ऊपर ही लेट कर विलाप करने लगी और मुझे भी साथ ले चलो कहकर जोर जोर से रो रही थी। जिससे शमशान घाट में मौजूद हर किसी की आंखे छलक गई।

बड़े गडरा नक्सल प्रभवित क्षेत्र होने के चलते यंहा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जवानो ने बलिदान हुए जवानों का अंतिम संस्कार करवाया।सैकड़ो की संख्या में बलिदान हुए जवानों की अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोग।

उल्‍लेखनीय है कि बुधवार की दोपहर जिले के अरनपुर क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान से लौट रहे जवानों के काफिले की वाहन को नक्सलियों ने निशाना बनाकर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्जोसिवज डिवाइज (आइईडी) ब्लास्ट किया, जिसमें सुरक्षा बल के डीआरजी दस्ते के 10 जवान बलिदान हो गए व गीदम निवासी एक वाहन चालक की मौत हो गई।

दंतेवाड़ा से करीब 70-80 डीआरजी के जवान नक्सल विरोधी अभियान में निकले थे। अभियान से वापसी के बाद अरनपुर कैम्प के बाहर जवानों को ले जाने गाड़ियां इंतजार में खड़ी थी। नक्सली इस बात को भली भांति जानते थे कि वाहन में सवार होकर ही जवान वहां से वापस लौटेंगे। इस पर नक्सली नजर लगाए हुए थे और जैसे ही मौका मिला ब्लास्ट कर बड़ा नुकसान पहुंचाया। सोची-समझी रणनीति से जवानों के काफिले के दूसरे नंबर की वाहन को निशाना बनाया गया।

नक्सली यह जानते थे कि पहली गाड़ी को निशाना बनाने से पीछे आ रही दूसरी गाड़ी में सवार डीआरजी के जवान बैकअप बनकर नुकसान पहुंचा सकते थे। इसलिए पहले वाहन को निकलने दिया गया ताकि विस्फोट के बाद भागने का मौका मिल सके। विस्फोट के करीब आधे घंटे बाद अरनपुर थाने से बैकअप पार्टी घटनास्थल पर पहुंची, तब तक देर हो चुकी थी।

Posted By: Pramod Sahu

छत्तीसगढ़
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