धमतरी। सोसाइटियों में डीएपी व पोटाश खाद की कीमत में बढ़ोत्तरी, दलहन तिलहन का मुआवजा दिलाने, खरीफ धान फसल खरीदी 15 क्विंटल प्रति एकड़ करने सही पिक्चर सूत्री मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ किसान यूनियन के सदस्य 23 मई को कलेक्ट्रेट पहुंचे।
खाद की कीमत में बढ़ोत्तरी को छत्तीसगढ़ किसान यूनियन ने किसान हित में अहितकारी बताया। यूनियन के सदस्यों ने तत्काल खाद की बढ़ी हुई कीमतों को वापस करने की मांग की है। उन्होंने कलेक्टर पीएस एल्मा से मिलकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा है। यूनियन के सदस्यों ने कहा कि यदि किसान हित में मांगों पर अमल नहीं किया जाता है तो छत्तीसगढ़ किसान यूनियन द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ किसान यूनियन के प्रदेश संरक्षक लीलाराम साहू, जिलाध्यक्ष घनाराम साहू व अन्य सदस्यों ने कहा कि सोसाइटियों में डीएपी खाद की कीमतों में 150 रुपये प्रति बोरी व पोटाश में 700 रुपये प्रति बोरी की बढ़ोतरी की गई है। खाद के दाम में की गई बढ़ोत्तरी सही नहीं है। छत्तीसगढ़ किसान यूनियन इसका विरोध करता है। तत्काल खाद की बढ़ी हुई कीमत वापस ली जाए। आज के समय में खेती किसानी का कार्य खर्चीला हो गया है। ऐसे में खाद की कीमत में बढ़ोतरी कर दी जाती है तो किसानों को दोहरी मार पड़ती है। कीमतों में बढ़ोतरी किया जाना किसी भी लिहाज से सही नहीं है।
तत्काल इसे किसान हित में वापस लिया जाए। बेमौसम बारिश से नुकसान हुए दलहन तिलहन चना लाखड़ी, उड़द फसल का सर्वे होने के बावजूद अभी तक किसानों को किसी प्रकार की मुआवजा राशि प्राप्त नहीं हुआ है। बिना विलंब किए किसानों को दिया जाए। किसानों को सोसाइटियों में खाद बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जाए। महंगाई के आधार पर किसानों की कृषि राशि बढ़ाई जाए।
राजीव गांधी न्याय योजना की किसानों की प्रति एकड़ 488 रुपये 40 पैसे की गई कटौती राशि को किसानों के खाते में पुनः डाला जाए। किसानों की आगामी खरीफ फसल धान खरीदी 15 क्विंटल प्रति एकड़ से बढ़ाकर संपूर्ण उपज की खरीदी की जाए। मांग करने वालों में जागेंद्र कुमार, पूरनलाल, राम निहोरा निषाद, महिपाल साहू, पवन साहू, दीनदयाल साहू, महावीर साहू, नारायण साहू, कुंजलाल साहू सहित अन्य किसान शामिल थे।

डीएपी में 150 रुपये व पोटाश में 700 रुपये की हुई बढ़ोतरी
सोसाइटी में डीएपी की कीमत 1200 रुपये थी। अब उसको बढ़ाकर 1350 रुपये कर दिया गया है। जो पोटाश किसानों को एक हजार में मिल रहा था उसे बढ़ाकर 1700 रुपये कर दिया गया है। इस तरह से खाद की कीमतों में वृद्धि की गई है। यह किसानों के हित में उचित नहीं है। क्योंकि कृषि लागत हर साल बढ़ती जा रही है। महंगाई के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई है। किसान आर्थिक रूप से पिछड़ गया है। इस तरह से अचानक खाद की कीमत में वृद्धि से कृषि लागत और बढ़ जाएगी। अतः किसान हित में खाद में किए गए वृद्धि को देखते हुए बढ़ाई गई खाद की कीमत को वापस लिया जाए।
Posted By: Pramod Sahu
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