धमतरी। Holashtak होलाष्टक के चलते आठ दिनो के लिए मांगलिक सहित अन्य कार्यों पर विराम लग गया है। इससे विवाह वाले घरों में शहनाई एवं शादी के ढोल बजवाने कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ेगा। रंगों का पर्व होली को सभी वर्ग पूरे उल्लास से मनाते हैं। हर कोई इसके रंग में रंगकर आपस में खुशियां बांटते हंै। इस बार यह पर्व आठ मार्च को मनाया जाएगा।
विप्र विद्वत परिषद अध्यक्ष पंडित अशोक शास्त्री एवं मीडिया प्रभारी पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलिका दहन के आठ दिन पूर्व होलाष्टक शुरु हो जाता है, जो कि 27 फरवरी से लग गया है। धार्मिक मान्यता अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है। इसका प्रभाव पूर्णिमा तक रहेगा। होली विवाह से अन्य शुभ कार्यों पर ब्रेक लग गया है। इससे शहनाई एवं शादी के ढोल बजवाने लोगों को एक सप्ताह इंतजार करना पड़ेगा। वहीं होलाष्टक का विपरीत असर व्यापार पर भी दिखने लगा है।
ज्योतिषों की माने तो होलाष्टक के पहले दिन चन्द्रमा, दूसरे दिन सूर्य, तीसरे दिन शनि, चौथे दिन शुक्र, पांचवे दिन गुरु, छठवें दिन बुध, सातवे दिन मंगल और राहू की उग्रता के चलते होलाष्टक में सभी कार्य वर्जित होता है। क्योंकि ग्रहों की अनुकूलता में किए गए मांगलिक कार्य और अनुष्ठा अधिक सफल होता है। जबकि होलाष्टक अवधि में किए गए मांगलिक कार्य से घर में कलह एवं विवाद की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त सात मार्च को शाम 6.24 बजे से रात 8.51बजे तक
विप्र विद्वत परिषद धमतरी ने बताया कि भद्राकाल में होलिका दहन नहीं किया जाता है क्योंकि भद्राकाल में होलिका दहन किया जाता है तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए तिथि मुहूर्त की भूमिका अहम हो जाती है इस वर्ष फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा सात मार्च को सुबह पांच बजकर 15 मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त सात मार्च शाम 6.24 बजे से रात 8.51बजे तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2 घंटा 27 मिनट का है होलिका दहन के दूसरे दिन आठ मार्च को रंगपर्व वसंतोत्सव का पर्व मनाया जाएगा।
Posted By: Vinita Sinha
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