जगदलपुर। Jhiram Ghati 10th Anniversary: बहुचर्चित झीरम घाटी नक्सली हमले को 25 मई को 10 साल पूरे हो रहे हैं। इसी तिथि को 2013 में जगदलपुर से 42 किलोमीटर दूर बस्तर और सुकमा जिले की सीमा पर दरभा विकासखंड में राष्ट्रीय राजमार्ग-30 पर स्थित झीरम घाटी में सुकमा से लौट रही कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों ने हमला कर 32 लोगों को मार दिया था। इनमें 29 लोगों की मौके पर तो दो घायलों की घटना के कुछ दिनों बाद इलाज के दौरान मौत हुई थी। इस घटना में प्रदेश कांग्रेस की अग्रिम पंक्ति के नेता तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ल, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल आदि पार्टी नेताओं के साथ सुरक्षा बल के जवान और आम नागरिक बलिदान हुए थे।

एक दशक बाद भी इस घटना का सच बाहर नहीं आ सका है। न्यायिक जांच आयोग और देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी एनआइए ने घटना की जांच की लेकिन सच्चाई कब बाहर आएगी इस पर संशय बना हुआ है। झीरम कांड की बरसी के करीब आते ही राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस के बीच इस विषय पर तीन चार दिनों तक एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है और फिर मामला शांत हो जाता है। एक दशक से यही हो रहा है।

कांग्रेस जिसने इस घटना में अपने नेताओं को खोया उनकी जगह कभी नहीं भर सकती। सुरक्षा बल के जाबांज जवानों ने बहादुरी से मुकाबला करते हुए जान दे दी। इन सबके स्वजन भी घटना की सच्चाई जानने जांच प्रतिवेदन का इंतजार कर रहे हैं। झीरम कांड में जो लोग बच गए वे आज भी उस दिन की घटना को याद कर सिंहर उठते हैं। इनमें से मलकीत सिंह गैदू आदि बलिदानियों को श्रद्धाजंलि देने हर साल घटनास्थल जाकर नमन करते हैं।

घटना के दस साल बाद भी नेताओं में ऐसी दहशत है कि झीरम घाटी से काफिला लेकर गुजरने से कतराते हैं। 22 मई को सुकमा में बस्तर आदिवासी क्षेत्र विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने सुकमा आने-जाने के लिए कुछ नेताओं और अधिकारियों ने झीरम घाटी की बजाय दूसरे वैकल्पिक मार्ग को चुना। कुछ एक दिन पहले अकेले अलग-अलग समय पर झीरम के रास्ते निकले।

आयोग और एनआइए की रिपोर्ट का इंतजार

25 मई 2013 को झीरम नक्सल हमला हुआ और इसके तीन दिन बाद ही प्रदेश सरकार ने 28 मई को बिलासपुर हाइकोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय विशेष न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया था। आयोग ने जगदलपुर, बिलासपुर में सुनवाई बैठकें की। आयोग ने आठ साल बाद छह नवंबर 2021 को 4184 पेज की जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी थी।

रिपोर्ट को अधूरी बताते हुए वर्तमान प्रदेश सरकार ने जांच आयोग का विस्तार कर न्यायमूर्ति सतीश के अग्निहोत्री और न्यायमूर्ति जी मिन्हाजुद्दीन को नियुक्त कर तीन अतिरिक्त बिंदुओं पर भी जांच का जिम्मा आयोग को दे दिया। आयोग ने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। एनआइए ने घटना की जांच के लिए जगदलपुर और बिलासपुर में कैंप स्थापित किया था। जोर शोर से जांच की गई लेकिन उसकी रिपोर्ट भी सामने नहीं आई है।

झीरम में क्या हुआ था

झीरम कांड में के प्रत्यक्षदर्शी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मलकीत सिंह गैदू आज भी घटना को याद कर सिंहर उठते हैं। गैदू बताते हैं कि सुकमा से कांग्रेस की परिर्वतन यात्रा जिसमें लगभग 35 वाहनें रही होंगी केशलूर की ओर लौट रही थी। शाम को लगभग साढ़े चार बजे का समय था काफिला झीरम घाटी से गुजर रहा था। नक्सली सड़क के दोनों ओर मोर्चाबंदी कर एंबुश लगाए हुए थे। काफिला के नजदीक आते ही सबसे पहले पुलिया को विस्फोट से उड़ा जिसमें एक वाहन के परखच्चे उड़ गए।

ट्रक को सड़क के बीचोबीच खड़ा कर मार्ग बाधित कर दिया। इसके कारण जैसे ही काफिला रूका दोनों ओर से गोलियां बरसने लगी। एक घंटे की गोलीबारी के बाद नक्सली जिनमें महिला सदस्यों की मुख्य भूमिका भी नेताओं को बंधक बनाकर जंगल में ले गए। महेन्द्र कर्मा, नंद कुमार पटेल, दिनेश पटेल की जघन्य हत्या कर दी। कुछ गोलीबारी में मारे गए तो कई घायल हो गए। गैदू जिस गाड़ी का चला रहे थे महेन्द्र कर्मा उसी में बैठे थे।

Posted By: Nai Dunia News Network

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