जगदलपुर। झीरम घाटी हमले की दसवीं बरसी पर बस्तर आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम हमले की जांच को लेकर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। लालबाग में झीरम स्मारक में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने झीरम हमले की जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया है।
केंद्र सरकार की एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआइए) ने झीरम हमले की जांच रिपोर्ट में से खूंखार नक्सली नेता गणपति और रमन्ना के नाम हटाए हैं, जबकि ये दोनों नक्सलियों के नाम अगस्त 2014 तक पुलिस की एफआइआर में थे। सितंबर 2014 में जब एनआइए ने न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया तो इन दोनों नेताओं के नाम हटा दिए गए थे। भाजपा को जवाब देना चाहिए कि किसे बचाने का प्रयास यहां किया गया है।
सीएम ने कहा कि झीरम हमला गंभीर विषय है, पर इसमें भाजपा हल्की राजनीति कर रही है। इस हमले में नक्सलियों का काम दहशत फैलाना नहीं था, बल्कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को रोकने का राजनीतिक षड़यंत्र था। हमले के दौरान केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी पर राज्य की भाजपा सरकार के नोडल अधिकारी मुकेश गुप्ता ने या किसी ने भी सहयोग नहीं किया।
वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद घटना की जांच के लिए एसआइटी गठित की। जांच में सहयोग के लिए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, एनआइए को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी गई पर लेकिन उन्होंने नहीं दिया। इस हमले में जो लोग बचे थे एनआइए ने उनसे बात तक नहीं की। उनका बयान तक नहीं लिया गया। पिछले दस वर्ष में अपराधियों को नहीं पकड़ पाए।
एनआइए की जांच पर सवाल
मुख्यमंत्री भूपेश ने एनआइए की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि सितंबर 2014 में एनआइए की जांच शुरु हुई, जो एफआइआर किया गया उसमें व्यापक षड़यंत्र हुआ। एफआइआर में शामिल नक्सली रमन्ना और गणपति के संपत्ति कुर्क करने का आदेश था। थोड़ी संपत्ति कुर्क हुई, बाकी छोड़ दिया गया। सितंबर 2014 में एनआइए ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में दोनों नक्सलियों के नाम हटा दिए। भाजपा सरकार ने नक्सली रमन्ना और गणपति को क्यों बचाया, इसका जवाब देना चाहिए। जांच के लिए जो आयोग गठित की गई, उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को न देकर सीधे राज्यपाल को दी गई।
इसके बाद कांग्रेस ने भी एक जांच आयोग का गठन किया, जिसको रोकने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक स्टे ले आए। इसी तरह हम जांच के लिए एसआइटी बनाते हैं तो उसमें एनआइए स्टे ले आती है। केंद्र में यूपीए सरकार के बाद भाजपा सरकार आई तो उसने इसे दंडकारण्य कमेटी की घटना बताकर जांच बंद कर दी।
बलिदानियों को दी श्रद्धांजलि, स्वजन से भी मिले
झीरम घाटी बलिदान दिवस के अवसर जगदलपुर के लालबाग स्थित झीरम मेमोरियल में झीरम घाटी के शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ सर्वोच्च बलिदान को बेकार नहीं जाने देंगे। साल वनों के द्वीप बस्तर क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त कर फिर से शांति का टापू बनाएंगे।
झीरम के बलिदानियों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा और उपस्थित लोगों को प्रदेश को पुनः शांति का टापू बनाने की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री बघेल ने झीरम घाटी के बलिदानियों के स्वजनों से मिले और शाल-श्रीफल भेंट करते हुए वे भावुक हो गए। स्वजनों से कहा कि आप सभी ने बहुत बड़ा त्याग किया है। छत्तीसगढ़ सरकार हर पल आपके साथ खड़ी है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जिस नव निर्माण के पवित्र उद्देश्य के लिए हमारे नेताओं ने परिवर्तन यात्रा की थी, उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हमने लगातार परिश्रम किया है। हमने विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति से नक्सलियों को चंद क्षेत्रों तक ही समेट दिया है। हमने अपनी योजनाओं और नीतियों से बस्तर का विकास सुनिश्चित किया। शिक्षा, स्वास्थ्य, आदिवासी संस्कृति के संरक्षण सहित अन्य विकास कार्यों को गति दी और बेहतर कार्य कर दिखाया है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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