अनिमेष पाल। जगदलपुर। 'राकेट बायज के नाम से दुनिया में विख्यात दो पक्के मित्र और महान वैज्ञानिक डा. होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई से जुड़े एक अद्भुत संयोग का गवाह बस्तर बन रहा है। भारत को परमाणु शक्ति बनाने में डा. होमी भाभा और विक्रम साराभाई ने मिलकर काम किया था। अब मरणोपरांत इन दोनों से जुड़े संस्थान एक साथ, एक वक्त पर बस्तर के पर्यावरण को सहेजने की दो अलग-अलग परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।
भाभा से जुड़ी संस्था गोबर से बिजली बनाने के संयंत्र पर काम कर रही है तो साराभाई से जुड़ी संस्था कूड़े के प्रबंधन से पर्यावरण को स्वच्छ रखने के साथ इसके पुन: उपयोग से लोगों को रोजगार भी देगी। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) ट्रांबे और कार्तिकेय साराभाई की संस्था सेंटर फार इनवारमेंट एजुकेशन (सीईई) के तकनीकी मार्गदर्शन में यह काम किया जा रहा है। गोबर से बिजली बनाने के संयंत्र का लोकार्पण 26 जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर प्रवास के दौरान करेंगे। हाल ही में भाभा और साराभाई के जीवन पर आधारित एक बायोपिक 'राकेट बायज आई थी, जो चर्चा में थी।
500 किलो गोबर से 40 घर होंगे रोशन
राज्य सरकार ने गोबर से बिजली बनाने के लिए बार्क से तकनीकी करार किया है। वेस्ट टू वेल्थ स्कीम के तहत छग बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथारिटी की ओर से इसका निर्माण किया जा रहा है। बस्तर में जगदलपुर के अतिरिक्त कुकानार व गीदम में भी संयंत्र बनाए जा रहे हैं। जगदलपुर के डोंगाघाट स्थित संयंत्र में प्रतिदिन 500 किलो गोबर और 100 लीटर पानी से 10 किलोवाट बिजली तैयार होगी, जिससे 40 घरों को रोशन किया जा सकेगा।
रिसाइकलिंग से 300 लोगों को रोजगार
स्वच्छ केंद्र में बस्तर जिले के जगदलपुर शहर समेत 114 गांवों के कूड़े को इकट्ठा कर इसे रिसाइकल करेंगे। 50 तरह के सूखे कचरे के रिसाइकिल से पाली एथिलीन और पाली प्रोपेलिन की गोलियां तैयार की जाएगी, जिसे उद्योगों को बेचा जाएगा। शहर से लेकर गांव तक कूड़ा इकट्ठा करने की प्रक्रिया में 300 लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये तक की कमाई होगी। तीन साल तक प्रशिक्षण के बाद इस केंद्र को स्थानीय स्व सहायता समूह को सौंप दिया जाएगा।
पर्यावरण को लेकर चिंतित रहते थे साराभाई
सीईई के सीनियर प्रोग्राम डायरेक्टर प्रभजोत सोढ़ी बताते हैं, विक्रम साराभाई पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंतित थे और इस पर काम करना चाह रहे थे तभी 1984 में उनका निधन हो गया। उसी वर्ष उनके बेटे कार्तिकेय साराभाई ने सेंटर फार इनवारमेंट एजुकेशन संस्था की स्थापना की, जो पर्यावरण संरक्षण की परियोजनाओं का संचालन वैश्विक स्तर पर करती है।
कलेक्टर बस्तर चंदन कुमार ने कहा, सेंटर फार इनवारमेंट एजुकेशन संस्था और बार्क के लिए हमारी ओर से जमीन उपलब्ध कराकर आवश्यक संरचना के लिए जिला खनिज निधि न्यास से स्ट्रक्चर तैयार कर दिया गया है। मशीन, तकनीक व अन्य खर्च संस्थान खुद व्यय कर रही है।
Posted By: Ashish Kumar Gupta
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