जगदलपुर। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने राज्यपाल को पत्र लिखकर आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने की गुहार लगाई है। दो दिन पहले यहां आदिवासी विश्राम भवन में आयोजित समाज की बैठक में चार-पांच ज्वलंत विषयों पर प्रमुखता से चर्चा की गई। बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं छग सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम, प्रदेश उपाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम, संभागीय पदाधिकारी पूर्व विधायक लच्छू कश्यप, जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप आदि प्रमुख पदाधिकारी शमिल थे।
बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार बुधवार को राज्यपाल अनुसूइया उइके को सामाजिक संगठन की ओर से पत्र भेजा गया। पत्र में ऐसे सरकारी अधिकारी-कर्मचारी जिनके जाति प्रमाणपत्र उच्चस्तरीय छानबीन समिति के द्वारा फर्जी करार दिए गए हैं, उन सभी को सरकारी सेवा से बर्खास्त करने तथा उनके बच्चों जिन्होंने जाति प्रमाणपत्र का लाभ लेकर नौकरी अथवा किसी अन्य क्षेत्र में आरक्षण का लाभ लिया है, उन्हें लाभ से वंचित करने की मांग की गई है। बताया गया कि प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाणपत्र के 267 मामलों की पुष्टि हो चुकी है लेकिन कार्रवाई गिनती के लोगों के विरूद्ध ही की गई है।
पत्र में बस्तर जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग में 2014 में हुई तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के 873 पदों पर भर्तियों में आरक्षण रोस्टर के पालन सही तरीके से नहीं किए जाने का मामला साबित होने का हवाला देते भर्तियां निरस्त करने की अनुरोध किया गया है। बस्तर संभाग में सरकारी कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड को शीघ्र शुरू करने की मांग करते हुए भर्तियां तेज करने सरकार को निर्देशित करने कहा गया है।
एक अन्य महत्वपूर्ण विषय आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासियों द्वारा खरीदने और राजस्व दस्तावेज में नामांतरण से जुड़े मामलों पर जमीन वापसी की मांग भी पत्र में की गई है। समाज केे कार्यकारी जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप ने कहा कि बस्तर संभाग में पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून लागू हैं। राज्यपाल ऐसे क्षेत्रों में आदिवासियों केे संवैधानिक अधिकारों के संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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