जांजगीर-चांपा । न्यायाधीशों के आवास निर्माण में बड़ी अनियमितता बरती गई है। 93-93 लाख रूपए की लागत से निर्मित आवास इस्टीमेट के अनुसार नहीं बना है। साल भर पहले निर्माण पूर्ण होने की बात कह कर लोक निर्माण विभाग ने ठेकेदारों को भुगतान भी कर दिया हैजबकि निर्माण में कई खामियां है। जिसके चलते हैंडओवर नहीं हो पा रहा है।

जिला अस्पताल के कुछ दूर आगे सीएमएचओ आफिस के पास न्यायाध्ाीशों के लिए दो आवास का निर्माण अलग-अलग ठेकेदारों के द्वारा किया गया है। एक-एक आवास निर्माण में 93-93 लाख रूपए की लागत आई है। इस्टीमेट के अनुसार इसका निर्माण पूर्ण नहीं हुआ है। आवास परिसर में कार पार्किंग के लिए गैरेज का निर्माण होना था जो नहीं हुआ है। इसके अलावा आवास तक जाने के लिए निर्मित सीसी रोड जमीन के बराबर है। परिसर को समतल करने पर सड़क और नीचे हो जाएगी। इसके कारण बरसात में यहां पानी भर जाएगा। जिससे आने-जाने में दिक्कत होगी। इसके अलावा आवास में दर्पण और नल सहित कई चीजे नहीं लगी है। जबकि साल भर पहले ठेकेदार कोराशि का भुगतान कर दिया गया है। पीडब्ल्यूडी के अध्ािकारियों ने आंख मूंदकर इसका मूल्यांकन कर दिया और थर्ड पार्टी के अध्ािकारियों ने भी आंख मूंदकर कार्य पूर्ण होने की रिपोर्ट दी और भुगतान की अनुशंसा कर दी और ठेकेदारों को भुगतान भी हो गया।

साल भर पहले भुगतान होने के बाद भी पूर्ण निर्माण नहीं होने के कारण इन आवासों को हैंडओवर नहीं किया गया है। न्यायाधीशों के लिए आवास निर्माण में इस तरह की लापरवाही पीडब्ल्यूडी के अध्ािकारियों द्वारा बरती गई हैतो सामान्य सड़क व पुल पुलिया निर्माण में किस तरह लापरवाही बरती जाती होगी समझा जा सकता है। जानकारी के अनुसार न्यायाध्ाीशों ने भी निर्माण में खामियों को लेकर विभाग को चिट्ठी लिखी थी जिस पर विभाग के इंजीनियर ने भी निर्माण में खामियों की सूची तैयार की है और इसे विभाग कोसौंपा गया है। देखना यह हैकि अब पीडब्ल्यूडी न्यायाध्ाीशों के आवास निर्माण में बरती गई अनियमितता में सुध्र कब तक करता है । एक

साल पहले हो गया भुगतान

आवासों का हैंडओवर अब तक नहीं हुआ हैजबकि ठेकेदार को पूर्ण भुगतान कर दिया गया है। ऐसे में अब पीडब्ल्यूडी आवास की कमियों को किस तरह दूर करेगा और इसके लिए बजट कहां से आएगा यह भी एक बड़ा सवाल है।

न्यायाधीशों के लिए निर्मित आवास में जो टायलेट बनाया गया है उसमें सीट को दीवार से सटाकर लगाई गई हैऐसे में यह उपयोग के लायक ही नहीं है। ठेकेदारों ने भवन निर्माण में जमकर लापरवाही बरती हैऔर पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अध्कारियों संरक्षण दिया है।

संयुक्त निरीक्षण में ये मिली खामियां

लोक निर्माण विभाग के उप अभियंता द्वारा न्यायाधीशों केसाथ निरीक्षण के बाद आवास की खामियों को बताते हुए एसडीओपीडब्ल्यूडी को प्रतिवेदन दिया गया हैजिसमें खामियों की लंबी फेहरिस्त है। इसमें बताया गया है कि रैक में स्लेब ढलाई के बाद उसकी फिनिसिंग ठीक ढंग से नहीं की गई है। किसी भी बाथरूम में नल की एक भ्ाी टोंटी नहीं लगी है। एक आलमारी में ग्रेनाइट नहीं लगा है। प्रस्तावित ड्राइंग के अनुसार गैरेज का निर्माण नहीं कराया गया है। पोर्च की ऊंचाई प्लींथ लेबल की ऊंचाई से तीन फीट है। जिसके कारण्ा वाहन पार्क करने में कठिनाई होगी।

Posted By: Yogeshwar Sharma

छत्तीसगढ़
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