जांजगीर - चांपा । जिले में बड़ी संख्या में लोग सड़क दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। लोगों में जागरूकता के अभाव में सड़क दुर्घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। इसके चलते हर दूसरे दिन जिले में एक व्यक्ति की जान सड़क दुर्घटना में जा रही है। जिले में इस वर्ष जनवरी और पुरवरी के दो माह में 87 सड़क दुर्घटनाएं हुई है जिसमें 23 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि इन हादसों में 105 लोग घायल हुए हैं। सर्वाधिक दुर्घटनाएं भारी वाहनों की ठोकर से हुई है।
जिले में कृषि के साथ - साथ औद्योगिक विकास भी हो रहा है। औद्योगिकरण के चलते यहां भारी वाहनों की आवाजाही बढ़ने लगी है। साथ ही परिवहन साधनों में इजापुा होने से सड़कों में वाहनों का दबाब भी बढ़ने लगा है। इसमें दो पहिया, ट्रैक्टर, बस, ट्रक व ट्रेलर वाहनों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। सड़कों में वाहनों के दबाव के साथ ही सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ने लगी है। इसके चलते जिले में सड़क हादसे का ग्राफ भी लगातार बढ़ते जा रहा है। जिले में दिनों दिन छोटे वाहनों सहित भारी वाहनों का दबाव बढ़ता जा रहा है। यातायात विभाग द्वारा केवल छोटे वाहन चालकों के दस्तावेजों की जांच कर खानापूर्ति कर दी जाती है, जबकि जिले की सड़कों में भारी वाहन चालक बेखौपु भर्राटे भरते हैं।
यातायात विभाग द्वारा ऐसे वाहन चालकों पर कम कार्रवाई की जाती है। जबकि अधिकांश सड़क दुर्घटना लोगों में जागरूकता का अभाव होने के साथ ही साथ लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने से होती है। विभागीय उदासीनता के चलते जिले में लोग बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। जिले की सड़कें हर दूसरे दिन खून से लाल हो रही है। यातायात पुलिस के तमाम प्रयासों के बाद भी सड़क दुर्घटना पर रोक नहीं लग पा रही है। विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में जिले में इस वर्ष जनवरी से लेकर पुरवरी महीने तक दो माह में 87 सड़क दुर्घटनाएं हुई है जिसमें 23 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि इन हादसों में 105 लोग घायल हुए हैं। नशे में वाहन चलाने वालों के खिलापु यातायात पुलिस अभियान चला रही है। सर्वाधिक दुर्घटनाएं भारी वाहनों के ठोकर से हुई है।
वाहन मालिकों पर भी होनी चाहिए कार्रवाई
वाहन चालक बड़ी तादात में शराब पीकर वाहन चलाते हैं, इससे आए दिन दुर्घटना होती है। ऐसे में वाहनों को रोककर चालकों की जांच किया जाना भी आवश्यक है, मगर यातायात विभाग द्वारा वाहन चालकों की नियमित जांच नहीं की जाती है। वहीं दुर्घटना होने पर वाहन मालिकों पर भी कार्रवाई का प्रावधान होना आवश्यक है। ताकि वे नशे के आदी ड्राइवरों के हवाले अपना भारी वाहन न करें, मगर वाहन मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। वाहन चालकों के खिलाफ केवल 304 ए का मामला दर्ज कर औपचारिकता निभा दी जाती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में ट्रैक्टर चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं होता और वे सड़कों पर पुर्राटे भरते हैं। जिसकी वजह से दुर्घटनाएं होती है।
यह है दुर्घटना की प्रमुख वजह
उबड़ खाबड़ और गड्ढे युक्त सडकें, नशे में वाहन चलाने की प्रवृत्ति, दोपहिया वाहन चालकों के द्वारा हेलमेट व कार चालकों के द्वारा सीट बेल्ट का उपयोग नहीं किया जाना, तेज रफ्तार वाहनों पर कार्रवाई नहीं होने और चौक चौराहों में तैनात यातायात पुलिस द्वारा केवल पाइंट में ही यातायात नियंत्रित करने की वजह से दुर्घटना बढ़ रही है। यातायात पुलिस को देखकर वाहन चालक चौक चौराहों में गति धीमी कर देते हैं मगर वहां से निकलते वे तेज गति से पुर्राटे भरते हैं। जिला मुख्यालय में ही बाइक पर स्टंट करने वालों व तेज रफ्तार बाइक चलाने वालों पर कभी कभार ही कार्रवाई होती है।
ये हैं प्रमुख ब्लैक स्पाट
जिले में प्रमुख चार ब्लैक स्पाट चिन्हांकित हैं। इनमें अकलतरा थाना क्षेत्र के तरौद चौक, अमरताल, तिलई, चांपा क्षेत्र के हथनेवरा को ब्लैक स्पाट के रूप में यातायात पुलिस द्वारा चिन्हित किया गया है। इन जगहों पर अध्ािक दुर्घटनाएं होती हैं। वाहन चालकों को भी यहां सावध्ाानी से वाहन चलाना चाहिए।
Posted By: Yogeshwar Sharma
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