जांजगीर-चांपा। पहाड़ में विराजित मां अन्नाधरी दाई पहरिया पाठ में शारदीय नवरात्र का पर्व मनाया जा रहा है। नवरात्र में माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है। पंचमी पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। अन्नाधरी दाई मंदिर में 1225 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित है। जिसमें तेल ज्योति 1045, घृत ज्योति 36, घृत जवां ज्योति 42, तेल जवां ज्योति 70 और 32 सामुहिक ज्योति कलश प्रज्ज्वलित है।

बलौदा ब्लाक के ग्राम पहरिया में मां अन्नाधरी दाई पहरिया पाठ पहाड़ में विराजमान है। पहरिया पाठ के संदर्भ में कोई इतिहास तो नहीं फिर भी बुजुर्गों के अनुसार यह देवी प्राचीन समय से यहां स्थापित है। जब पहरिया रतनपुर राज्य के अंतर्गत आने वाला पहाड़ी गांव था। ग्राम पहरिया पहाड़ों से घिरा हुआ है। अन्नाधरी दाई पहाड़ में विराजमान है। पहाड़ में बड़े बड़े वृक्ष लगे हुए है, कई वृक्ष टूटे पड़े हैं, लेकिन कोई इस लकड़ी का उपयोग नहीं करता। इस पहाड़ में छायादार वृक्ष करोड़ों की संपत्ति होगी जो आज भी सुरक्षित है। इस जंगल की लकड़ी को कोई काटता नहीं, वहां का एक तिनका उठाकर कोई भी बाहर नहीं ले जा सकता, अन्नाधरी मां की कृपा से यहां की हरियाली बनी हुई है। आज जहां सरकार जंगल बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च करती है फिर भी लकड़ी चोर माफियाओं को रोक पाने में नाकाम रहती है। वही पहरिया में मां अन्नाधरी दाई की कृपा से पूरा जंगल सुरक्षित है। सड़क किनारे जंगल की लकड़ियां टूटी पड़ी नजर आती है। टूटी लकड़ियां वही सड़ जाती है टूटी लकड़ियों को कोई नहीं ले जाते। मान्यता है कि कोई अनहोनी घटना न हो जाए। यह क्षेत्र पूरा पहाड़ और जंगलों से घिरा हुआ था सिर्फ पहरिया पहाड़ का ही जंगल ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि मां के प्रति आस्था से यहां की हरियाली कायम है। यहां के लोगों ने समिति गठित कर मंदिर के विकास के लिये कई कार्य किए। आसपास के लोगों का मां अन्नाधरी दाई के प्रति अपार श्रद्घा है। यहां लोगों का हमेशा आनाजाना लगा रहता है। नवरात्र में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

Posted By: Yogeshwar Sharma

छत्तीसगढ़
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