जांजगीर-चांपा। नईदुनिया प्रतिनिधि। मकर संक्राति पर्व श्रद्घाभाव से शुक्रवार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस अवसर पर श्रद्घालु नदी, तालाब व सरोवरों में पुण्य स्नान कर दान करेंगे। शिवरीनारायण महानदी, देवरी, देवरघटा संगम तथा हसदेव नदी चांपा के घाट व जलाशयों में मकर स्नान करने श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ेगी।
सूर्य मकर संक्राति के दिन मकर राशि में प्रवेश करेगा। श्रद्घालु सूर्योपासना के साथ काला तिल, चावल, वस्त्र, अन्न व अन्य वस्तुओं का दान करेंगे। चांपा की हसदेव नदी के सभी घाटों सहित देवरी (केरा) में हसदेव व महानदी संगम स्थल चंद्रपुर में मांड व महानदी संगम तट तथा देवरघटा संगम पर स्नान के लिए श्रद्घालुओं की भीड़ लगेगी। देवरी में मकर संक्राति के दिन नदी तट पर मेला सा माहौल होगा। लोग स्नान दान के बाद नदी किनारे भोजन भी करेंगे। सुबह से शाम तक यहां श्रद्घालुओं की भीड़ रहेगी। यहां केसला, नगारीडीह, केरा, मिसदा, खैरताल, तुलसी, भठली, बर्रा सहित आसपास के श्रद्घालु बड़ी संख्या में पहुंचेंगे। श्रद्घालु नदी में स्नान कर सूर्योपासना करेंगे। इसी तरह शिवनाथ जोक और महानदी के संगम तट पर देवरघटा में भी श्रद्घालु मकर स्नान कर मारुति धाम में पूजा अर्चना करेंगे। आराध्य देव को तिल से बने लड्डुओं का भोग लगाकर पूजा की जाएगी। इस पर्व पर स्नान एवं दान का विशेष महत्व रहता है। मकर राशि में शनि के प्रकोप से बचने के लिए तिल, वस्त्र व अन्न का दान विप्रजनों को किया जाएगा। इस दिन स्नान के साथ ही तिल के लड्डू, खिचड़ी व सेम की सब्जी खाने का महत्व है। उत्तर भारत में इस पर्व को खिचड़ी कहा जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी, तिल के दान का महत्व है। दक्षिण भारत में इसे पोंगल कहा जाता है। यहां के लोग चावल एवं मूंगदाल की खिचड़ी बनाते हैं। पंजाब में नई पᆬसल आने की खुशी में इसे लोहड़ी पर्व के रुप में मनाया जाता है।
ज्योतिष व पंडितों की अलग - अलग राय
मकर संक्रांति को लेकर ज्योतिष व पंडितों के भी अलग - अलग राय हैं । ज्योतिषाचार्य डा. अनिल तिवारी का कहना है कि सूर्य का संक्रमण मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को दोपहर 2.35 पर हो रहा है, शास्त्रों ने संक्रांति के 6 घंटा पहले एवं बाद में पुण्यकाल माना है। इस मत से सुबह 8.35 के बाद 14 जनवरी को मनाया जाएगा। उनका कहना है कि पुण्यकाल के नियम संक्रांति के पुण्यकाल के विषय में सामान्य नियम के प्रश्न पर कई मत हैं। जाबाल एवं मरीचि ने संक्रांति के धार्मिक कृत्यों के लिए संक्रांति के पूर्व एवं उपरान्त 16 घटिकाओं का पुण्यकाल प्रतिपादित किया है, किंतु देवीपुराण एवं वसिष्ठ ने 15 घटिकाओं के पुण्यकाल की व्यवस्था दी है। यह विरोध यह कहकर दूर किया जाता है कि लघु अवधि केवल अधिक पुण्य फल देने के लिए है और 16 घटिकाओं की अवधि विष्णुपदी संक्रांतियों के लिए प्रतिपादित है। संक्रांति दिन या रात्रि दोनों में हो सकती है। दिन वाली संक्रांति पूरे दिन भर पुण्यकाल वाली होती है। एक नियम यह है कि दस संक्रांतियों में, मकर एवं कर्कट को छोड़कर पुण्यकाल दिन में होता है, जबकि वे रात्रि में पड़ती हैं। इस विषय का विस्तृत विवरण तिथि तत्त्व और धर्मसिंधु में मिलता है। इसी तरह दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित किरण कुमार मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष संक्राति का आगमन कन्या के रुप में बाघ के सवारी के साथ होगा। शुक्रवार 14 जनवरी की रात्रि 8 बजकर 59 मिनट पर रोहणी नक्षत्र एवं वृष राशि पर मकर संक्रात पार होगा। मकर संक्राति का पुन्य काल दूसरे दिवस शनिवार 15 जनवरी को सुर्योंदय से दोपहर 12 बजकर 59 मिनट तक है। पुन्य काल समय में कांष्यपात्र में तिलों का त्रिकोण बना कर कंबल वस्त्रादि सहित अन्न दान करने का महत्व है।
तिल व गुड़ पर महंगाई की मार
मकर संक्राति के सप्ताह भर पहले से तिल व गुड़ की सोंधी महक घरों घर शुरू हो जाती थी, मगर आसमान छूती महंगाई ने कड़ाके की ठंड में लोगों का पसीना निकाल दिया है। बाजार में तिल 150 रुपए किलो बिक रहा है, वहीं गुड़ 40 रुपए पहुंच गया है। मूंगफली दाना 120 रुपए तथा मुर्रा 60 रुपए किलो बिक रहा है। इसी तरह लाई अन्य वस्तुओं के भाव बढ़ गए हैं।
खिचड़ी का विशेष महत्व
मकर संक्राति पर खिचड़ी का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान दान करने के बाद दोपहर के भोजन में खिचड़ी व सेमी की सब्जी खाने का महत्व है। वहीं घर आए स्नेहीजनों को भी खिचड़ी परोसा जाता है। सेमी की सब्जी की विशेष पूछपरख होती है।
Posted By: Nai Dunia News Network