अंतागढ़। वैसे तो आमतौर पर किसी परिवार में यदि किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो परिवार के अन्य सदस्यों का रो रोकर बुरा हाल हो जाता है। घर में मातम छा जाता है। रिश्तेदार एक-दूसरे को ढांढस बंधाते हैं। वहीं अंतागढ़ क्षेत्र में अनकुरी गांडा समाज में परिवार के सदस्यों की मृत्यु होने के पश्चात होने वाले आयोजन में उत्साह और उत्सव का समागम देखने को मिलता है।
मामला है कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लाक के ग्राम सिकसोड़ का जहां कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। समाज की एक महिला जिसकी उम्र करीब पचपन वर्ष की थी, उसकी मृत्यु के उपरांत अनकुरी गांडा समाज के लोगों व ग्रामीणों द्वारा मृतका के आत्मा की शांति के लिए भव्य समारोह का आयोजन किया। इस दौरान वहां की महिलाओं ने सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए बाजे गाजे के साथ नृत्य करते हुए व उसमे बांस से बने सूपा का उपयोग वाद्य यंत्र के रूप में करते हुए मृतका के आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
इसे लेकर समाज के लोगों का मानना है कि किसी की भी मृत्यु हो जाने पर उसे उत्सव के रूप में मनाए जाने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है। वहीं इस विषय पर मृतका की सुपुत्री मथुरा बाई का कहना है कि उनकी माता कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थी तथा बीमारी के चलते उनकी मृत्यु हो गई, इसके बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए भव्य आयोजन किया गया है। खुशी-खुशी जश्न मनाते हुए पूरा परिवार एकत्रित होकर उन्हें अंतिम विदाई दे रहा है। यह
Posted By: Nai Dunia News Network