कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में ई-रिक्शा की संख्या 600 से पार हो चुकी है। जार्जिंग प्वाईंट की सुविधा नहीं होने से लो बैटरी होने पर चालकों को घर वापस लौटना पड़ रहा। शहर को कचरा मुक्त करने व्यापक तौर पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है। वहीं वायु प्रदूषण कम करने की दिशा में ईको फ्रैंडली वाहन को बढ़ावा देने का प्रशासनिक तौर पर प्रयास नहीं किया जा रहा। कई बार ई-रिक्शा संघ प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के समक्ष रख चुकी है।
पेट्रोल की बढ़ी कीमत को देखते हुए अब ई-रिक्श्ाा के प्रति लोगाें में रूझान देखा जा रहा है। जिस तादात में शहर में दौड़ने वाली ई-रिक्शा की बढ़त हो रही उससे अनुसार उसके संचालित करने के लिए चार्जिंग प्वाईंट की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गई। जीरो से फुल चार्ज करने पर रिक्शा 70 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करता है। चार्जिंग स्टेशन नहीं होने से वाहन चालक लंबी दूरी सवारी नहीं ले जा रहे हैं। उन्हे हमेशा इस बात की आशंक बनी रहती है कि यात्री सेवा देते समय कहीं चार्जिंग खत्म न हो जाएगा। ई-रिक्शा संचालका बाबू बाई वाल्मिकी का कहना है, वाहनों की संख्या में बढ़त को देखते हुए निगम प्रशासन को रिचार्ज स्टेशन की व्यवस्था करना चाहिए। घर में रात भर चार्चिंग करते हैं, अधिक सवारी मिलने पर यह पर्याप्त नहीं होता। वाहन में बैठने वाले यात्री अक्सर बैटरी चार्जिंग के बारे में पूछते हैं। उन्हे इस बात की शंका रहती है कि कहीं बैटरी बीच में लो हो गई तो उन्हे पैदल सफर करना पड़ेगा। बताना होगा कि श्ाहर में ई-रिक्श्ाा की संख्या दिनो दिन बढ़ती जा रही हैं। डीजल और पेट्रोल की महंगाई को देखते हुए ई-रिक्शा ही नहीं बाइक भी लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। बड़े शहरों में चार्ज की हुई बैटरी किराए पर उपलब्ध कराए जाने की सुविधा रहती है। जगह-जगह बैटरी जार्जिंग की दुकाने होने से चालक को जहां भी आवश्यकता होती है। वहां शुल्क देकर बैटरी बदल लेते हैं।
दोपहिया सवारों को भी होगी सुविधा
रिजार्जिंग प्वाईंट बनने ई-रिक्शा के अलावा बैटरी से चलने वाले दोपहिया वाहनों को भी सुविधा मिलेगी। शहर में रहकर कार्यालय तक आवागमन करने वाले वालों के लिए इलेक्ट्रानिक बाइक पहली पसंद बन रही है। शहर में 5000 से भी अधिक ई-बाइक का संचालन हो रहा है। रिजार्जिंग प्वाईंट खुलने से वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। खास बात यह है ई-बाइक अथवा रिक्शा में सामान्य वाहन की तुलना आवाज रहित होता है। सड़क में ऐसे वाहनों की संख्या बढ़ने से वायु के साथ ध्वनि प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी।
रेलवे व बस स्टैंड मे स्टेशन आवश्यक
ई-रिक्शा संचालकों की ओर से शहर के बस व रेलवे स्टैंड में रिर्जार्जिंग प्वाईंट की मांग की जा रही है। यहां सुविधा होने से अधिक दूर तक सफर करने वाले यात्रियों को पूरी तरह रिचार्ज वाहन का विकल्प चुनने में सहूलियत होगी। शहर में चार्जिंग प्वाईंट नहीं होने से कई गैरेज संचालकों ने हूकिंग की बिजली से सेवाएं देना शुरू कर दिया है। इससे न केवल विद्युत वितरण विभाग को घाटा हो रहा बल्कि सप्लाई तार में भी भार बढ़ रहा है। मामले को गंभीरता से नहीं लेने बिजली चोरी की संभावना बढ़ गई है।
ग्रीन ऊर्जा से मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति
चिमनी और भारी वाहनों ने निकलने वाली धुआं के साथ कुल प्रदूषण 18 प्रतिशत भाग अकेले आटो और दोपहिया से निकलती है। चार्चिंग प्वाईंट खुलने लोगों की निर्भरता बढ़ेगी। सड़कों धुंआ प्रदूषण से राहत मिलेगी। ई-रिक्शा की संख्या शहर ही नहीं उपनगरीय क्षेत्रों में भी बढ़ रही है। यहां भी चार्जिंग प्वाईंट की आवश्यकता महसूस की जा रही। सुविधा मिलने से यहां भी पेट्रोल और डीजल वाहन की संख्या में कमी आई स्थानीय निकाय की ओर शहर चार्जिंग प्वाईंट खोलने से राजस्व लाभ भी मिलेगा। साथ ही लोगों को रोजगार मिलेगा।
ई-रिक्शा की रिचार्जिंग घरेलू कनेक्शन से होती है। सार्वजनिक स्थानाें में रिचार्जिंग प्वाईंट की मांग वितरण विभाग को नहीं मिली है। निगम अथवा प्रशासन से मांग किए जाने पर पहल की जाएगी।
अनुपम सरकार, कार्यपालन यंत्री, वितरण विभाग
Posted By: Yogeshwar Sharma