कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोल इंडिया में नौकरी पाने की राह में ब्लड प्रेशर (बीपी), मधुमेह (शुगर) व कलर ब्लाइंडनेस जैसी बीमारियां से अब बाधा नहीं होंगी। इन बीमारियों से पीड़ित अभ्यर्थियों को स्वास्थ्य परीक्षण में अनफिट घोषित नहीं किया जाएगा। कंपनी के मेडिकल अटेंडेंस रूल में बदलाव कर दिया गया है।
कोल इंडिया में पहले बीपी व शुगर के अलावा कलर ब्लाइंडनेस की बीमारी की वजह से अभ्यर्थियों को मेडिकल जांच के दौरान नौकरी के लिए अनफिट कर दिया जाता था। तीनों बीमारियों में छूट की मांग श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों ने मानकीकरण व एपेक्स कमेटी की बैठक के दौरान की थी। विगत दिनों मानकीकरण कमेटी की रांची में हुई बैठक में कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने इस पर सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी थी। आखिरकार इस पर अमल करते हुए इस संबंध में उप महाप्रबंधक (कार्मिक व नीति) राजेश वी नायर ने आदेश भी जारी कर दिया है। बदले गए नियम में यह स्पष्ट किया गया है कि बीपी व शुगर की वजह से शरीर का कोई अंग क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए। बीपी 180-110 से अधिक नहीं होना चाहिए। सभी अभ्यर्थियों का कलर ब्लाइंडनेसन का जांच किया जाएगा। जो अभ्यर्थी इस बीमारी से ग्रस्त निकलेगा, वह ग्रुप बी पद के लिए पात्र होगा। यहां बताना होगा कि ग्रुप ए में सावेल आपरेटर, सीनियर डंपर आपरेटर, फोरमैन इंचार्ज, सीनियर मैकेनिक रखे जाते हैं। खदान के अंदर ये कर्मचारी तकनीकी काम करते हैं। वहीं ग्रुप बी में कम क्षमता के डंपर व सावेल संचालन की जवाबदारी दी जाती है। बदले गए नियम में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि कलर ब्लाइंडनेस पीड़ितों को इस ग्रुप में रखा जाएगा, लेकिन आपरेटर की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाएगी। कार्यालय व वर्कशाप में सामान्य काम दिया जाएगा।
अकेले एसईसीएल में 150 मामले लंबित
साउथ इस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) व कोल इंडिया से संबद्ध अन्य कंपनियों में सैकड़ों मामले लंबित हैं। अकेले एसईसीएल में 150 मामलों के निराकरण का इंतजार है। इनमें ज्यादातर भू-विस्थापितों के प्रकरण हैं। हिंद मजदूर सभा के महामंत्री व जेबीसीसीआइ सदस्य नाथूलाल पांडेय का कहना है कि कंपनी के इस निर्णय से न केवल लंबित प्रकरणों का निपटारा होगा, बल्कि खदानों में कार्यरत उन हजारों कर्मचारियों को राहत मिलेगी। जिन्हें इन छोटी बीमारियों की वजह से मेडिकल अनफिट कर दिया जाता था।
25 प्रतिशत एमजीबी पर 8,558 करोड़ का वित्तीय भार
कोल इंडिया के 2.30 लाख कर्मचारियों के 11 वें वेतनमान को लेकर कोल मंत्रालय की ओर से गठित की गई आकलन कमेटी की झारखंड के धनबाद में बैठक हुई। इस दौरान कमेटी ने प्रोजेक्टर पर न्यूनतम पांच से अधिकतम 25 प्रतिशत तक मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) प्रदान करने पर वित्तीय भार का अनुमानित आंकड़ा प्रस्तुत किया। बताया गया कि पांच प्रतिशत में 2,369 करोड़ व 25 प्रतिशत एमजीबी पर 8,558 करोड़ रूपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा। इस हिसाब से एसईसीएल के 41 हजार कर्मचारियों के लिए पांच प्रतिशत में 460 करोड़ व 25 प्रतिशत में 1,640 करोड़ रूपये का वित्तीय भार का अनुमान पेश किया गया।
Posted By: Nai Dunia News Network
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