कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिल के ग्राम बरहमपुर के निकट अहिरन नदी का मुहाना अवैध रेत उत्खनन का अड्डा बना गया है। यहां हर रोज पांच से सात डंपर लगाकर 500 क्यूबिक रेत चोरी की जा रही है। रायल्टी पर्ची में मैजिक पेन का उपयोग कर एक पर्ची से पूरे दिन रेत निकाल कर परिवहन किया रहा है। हैरत की बात तो यह कि पूरा साल निकलने वाला है पर खनिज विभाग ने एक भी वैध रेत घाट शुरू नहीं की है। उससे भी गंभीर बात यह है कि कोतवाली व सर्वमंगला पुलिस की नाक के नीचे से रोज दर्जनों रेत के वाहन निकल रहे पर इन्हे न तो रोका जाता ना ही कार्रवाई की जाती।

बरमपुर में रहना वाला एक पुराना रेत तस्कर लंबे समय से अहिरन नदी व हसदेव नदी के संगम स्थल से रेत का अवैध रूप से उत्खनन कर रहा। पिछले चार माह के अंदर लगभग 50,000 क्यूबिक मीटर से ज्यादा चोरी की जा चुकी है। जिसका बाजार मूल्य लगभग सात करोड़ रुपये बताया जा रहा। तीन से चार महीनों में की जा चुकी है। अवैध खुदाई उस स्थान पर हो रही है जहां हसदेव पावर प्लांट में कोयला सप्लाई वाल कनवेयर पुल है। इससे कभी भी पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने की भी आशंका बनी हुई है। रात को बकायदा जेसीबी लगाकर रेत की ढेर ठिकाने लगाई जाती है। फिर दिन में गंतव्य की ओर वाहनों में लोड कर रवाना किया जाता है। छह से सात हजार रुपये प्रति डंपर के हिसाब से बाजार में रेत खपाया जा रहा।

जांजगीर चांपा जिले के केरा कछार घाट का पर्ची लाकर मैजिक पेन से रायल्टी पर्ची में समय व तिथि डाला जाता हैं। एक ही पर्ची को कई बार मिटा कर नया बनाया जा रहा। दिनभर बरमपुर से शहर के मुख्य मार्ग होते हुए कोरबा शहर की ओर गाड़ियां आती है, साथ ही कुसमुंडा व दर्री की ओर रेत भरी गाड़िया भेजी जा रही। कलेक्ट्रेट, बुधवारी, निहारिका, ट्रांसपोर्ट नगर जैसे मार्ग से रेत भरी ट्रैक्टर दौड़ रही है। इसकी वजह से कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी। यहां बताना होगा कि शहर के अंदर बड़े रेतघाट बंद पड़े हैं। ऐसे में तस्करों की चांदी है। वे रात के अंधेरे में घुसकर नदी को छलनी छलनी कर रहे हैं और रेत चोरी कर आम उपभोक्ताओं को मोटे दर पर खपा रहे हैं। लगातार इस तरह की घटनाएं शहर व उपनगरीय क्षेत्र में सामने आ रही है लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार विभाग के अफसर रेत तस्करों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं जिसके चलते रेत तस्करों के हौसले बुलंद हैं।

खनिज विभाग की टीम रेत तस्करों की धरपकड़ के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है। साथ ही नए रेतघाटों को चिन्हांकित किया गया है। जिनके इस माह के अंत तक स्वीकृति की प्रक्रिया संपन्ना हो जाएगी। जिसके उपरांत पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने के बाद इन रेत घाटों को भी संचालित किया जाएगा।

- प्रमोद कुमार

उप संचालक खनिज विभाग कोरबा

Posted By: Yogeshwar Sharma

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