कोरबा(नईदुनिया प्रतिनिधि)। साऊथ ईस्टर्नन कोलफिल्ड लिमिटेड (एसईसीएल) के कुसमुंडा क्षेत्र के विस्थापित ग्राम खम्हरिया को प्रबंधन पिछले कुछ दिनों से उजाड़ने में लगी है। यहां रहने वाले ग्रामीणों की समस्या सुनने प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल पहुंचे। यहां उन्होने कुसमुंडा कोयला खदान के महाप्रबंधक (जीएम) संजय मिश्रा से पूछा कि क्या प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के हित में निर्धारित किए गए छह बिंदुओं का पालन किया गया है। पहले तो वे गोलमोल जवाब देते रहे फिर अचानक उठ कर चलते बने। प्रबंधन के इस रवैये को देख ग्रामीण नाराज हो गए।
कुसमुंडा खदान के विस्तार के लिए वैशाली नगर में रहने वाले भू-विस्थापितों को खम्हरिया में बसाए जाने की योजना एसईसीएल ने बनाई है। पिछले कई सालों से यहां रहने वालेे लोगों का मकान तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है, इसका विरोध ग्रामीण कर रहे हैं। बीते 11 मई को कलेक्टर की उपस्थिति में प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच वार्ता हुई थी। इस दौरान परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कर मुआवजा दिए जाने समेत छह बिंदुओं के पालन के निर्देश प्रबंधन को दिया था। ग्रामीणों का आरोप है कि किसी तरह की सुविधा मुहैया कराए बिना ही मकानों पर डोजर चलाया जा रहा। इसकी जानकारी मिलने पर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल बुधवार को मौके पर जा पहुंचे, उस वक्त कुसमुंडा के जीएम मिश्रा भी उपस्थित थे। ग्रामीणों की मौजूदगी में सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू हुआ। ग्रामीण अपनी चार दशक पुरानी मांगों को लेकर सवाल दागने लगे। मंत्री ने भी उनसे सवाल पूछा कि ग्रामीणों की समस्याओं का निराकरण किए बिना उन्हें जमीनों से बेदखल क्यों किया जा रहा है।
मंत्री अग्रवाल कलेक्टर का पत्र दिखाते हुए पूछा कि जिन छह बिंदुओं पर प्रबंधन को पहले काम करने के लिए कहा गया था वह पूरा हो गया क्या। जीएम मिश्रा ने कहा नहीं अभी नहीं हो पाया है। मंत्री ने वजह पूछा तो ग्रामीणों पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि नपाई करने नहीं दिया जा रहा। मंत्री ने ग्रामीणों से इस संबंध में जानकारी ली तो प्रबंधन की पोल खुल गई। ग्रामीणों एक स्वर में कह दिया कि प्रबंधन केवल दिखावा कर रही। ना तो पात्र भू-विस्थापितों को विस्थापन का लाभ दिया गया है और ना ही तालाब व निस्तारी के लिए जमीन छोड़ा जा रहा। मंत्री ने कहा कि यह मांगे तो अब भी अधूरी है। एक के बाद एक सवालों की बौछार से जीएम मिश्रा तिलमिला गए और उठकर चलते बने। इस मौके पर उपस्थित मीडियाकर्मियों ने भी मिश्रा से बीच बैठक से जाने का कारण पूछा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नही दिया। जीएम ने यह जरूत कहा कि मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं। यह सुनकर ग्रामीणों ने कहा कि प्रबंधन रोज हमारा अपमान कर रहा उसक भला क्या। मंत्री अग्रवाल के साथ नगर निगम महापौर राजकिशोर प्रसाद, सभापति श्याम सुंदर, एमआइसी सदस्य संतोष राठौर सहित काफी संख्या में खमरिया के ग्रामीण मौजूद थे।
प्रबंधन आखिर क्यों अमादा है मनमानी पर
प्रशासन ने ग्रामीणों की मांगों को पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए आदेश पत्र भी जारी किया गया। जिसमें साफ तौर पर उल्लेख है कि प्रभावित ग्रामीणाें की संपत्ति का मूल्यांकन कर मुआवजा दिया जाना है। पात्र भूस्वामी को विस्थापन का लाभ दिया जाना व पुरानी बस्ती में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही 18 वर्ष से ऊपर हो चुके लोगों को रोजगार देने को कहा गया है। मंत्री ने कहा कि यह मांगे तो अब भी अधूरी है। इन मांगों के विषय में जैसे ही चर्चा शुरू हुई जीएम वहां से उठकर चले गए।
नहीं चलने देंगे अधिकारियों की गुंडागर्दी - जयसिंह
इस मामले में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि हम अधिकारियों की गुंडागर्दी किसी कीमत पर नहीं चलने देंगे। एसईसीएल की कोयला खदान केंद्रीय सरकार का उपक्रम है। हम लोकतांत्रिक और प्रोटोकाल का पालन करते हुए आंदोलन करेंगे। लेकिन किसी कीमत पर ग्रामीणों का नुकसान नहीं होने देंगे। ग्रामीणों की रोजगार,पुनर्वास और मुआवजा की मांग दशकों पुरानी है। एसईसीएल के अधिकारियों ने बिना इसे पूरा किये ग्रामीणों को उनकी जमीन से बेदखल करना शुरू कर दिया है। अधिकारी जबरदस्ती मशीन लेकर ग्रामीणों को जमीन से बेदखल कर रहे हैं। यह बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं।
साफा बांध कर पहुंचे, पेड़ के नीचे ग्रामीणों के साथ बैठे
इसके पहले राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने महापौर राजकिशोर प्रसाद की अगुवाई में कांग्रेस के पदाधिकारियों को ग्रामीणों की समस्या सुनने खमरिया भेजा था। यहां हुई बैठक में कुसमुंडा के जीएम मिश्रा ने समस्या हल होते तक काम शुरू नहीं होने का आश्वासन दिया था। पर मंलवार को पुन: जेसीबी मंगाकर काम शुरू करा दिया गया। इसकी सूचनी मिलने पर स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के बाद भी राजस्व मंत्री कड़ी धूप में सिर में साफा बांधकर पहुंचे और परसा पेड़ के नीचे बैठकर ग्रामीणों से बातचीत की। इसके पहले भी मंत्री ने जीएम को फोन लगाकर कहा था कि जब तक ग्रामीणों के हित में ठोस निर्णय नही आ जाता, तब तक काम बंद रहेगा।
Posted By: Yogeshwar Sharma