कोरबा(नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में संचालित 446 में 111 ऐसे सरकारी कार्यालय हैं, जहां अभी तक वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण नहीं किया गया है। दो साल पहले सभी कार्यालयों में निर्माण के लिए जिला व निगम प्रशासन ने अभियान चलाया गया था। वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंत तक सभी कार्यालयों में हार्वेस्टर निर्माण के लिए कहा गया था। समय सीमा समाप्त होने के बाद भी निर्माण नहीं किया गया है। अधिकांश कार्यालय खासकर कालरी क्षेत्रों में जल स्तर औसतन 45 मीटर से भी नीचे चला गया है। ऐसे में कार्यालयाें में लगे बोर से जल आपूर्ति बाधित हो रही है।

नगरीय प्रशासन के जारी रिपोर्ट के अनुसार जिन कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण नहीं किया गया है वहां लगाए गए जल स्त्रोत सूख चुके हैं। ग्रीष्म के दौरान पेयजल के अलावा कूलर में डालने के लिए पानी की खपत होती है। पानी के अभाव में शासकीय कामकाज प्रभावित है। नगरीय प्रशासन के रिपोर्ट के अनुसार रायपुर के बाद कोरबा ऐसा जिला है जहां सर्वाधिक कार्यालयों का मरम्मत तो किया गया लेकिन अभी तक वाटर हार्वेस्टर का निर्माण नहीं हुआ है। जिले के अधिकांश कार्यालय नगर निगम कार्यालय के अंतर्गत आते हैं। 111 हार्वेस्टर विहीन कार्यालय में अकेले 45 कार्यायल निगम क्षेत्र के हैं। इनमें जोन कार्यालयों के अलावा प्रशासनिक कार्यालयों में परियोजना प्रशासक, रजिस्ट्रार, डीईओ, महिला एवं बाल विकास विभाग आदि कार्यालय शामिल है। सरकारी अथवा निजी भवन निर्माण के पहले नगर निगम द्वारा हार्वेस्टर निर्माण के लिए सात से 10 हजार रुपये जमा कराई जाती है। संस्था अथवा व्यक्ति की ओर से निर्माण कराने पर यह राशि वापस की जाती है। कोरोना काल में जिन स्थानों में भवन बने वह सर्वाधिक प्रभावित है। इनमें सरकारी के अलावा निजी कार्यालय भी शामिल हैं। वास्तविकता तो यह हार्वेस्टर तैयार करने में पांच से सात दिन का समय लगता है, निर्माण की उपेक्षा जल स्तर साल दर साल गिर रहा। निर्माण कार्य को गंभीरता से नहीं लिए जाने की वजह से भूमिगत जल का स्तर लगातार घटते जा रहा है। भूमिगत जल का दोहन शहर व गांव के रहवासी क्षेत्र में होती है। इन स्थानों घर के आंगन से लेकर गलियों में कांकीटीकरण किए जाने से वर्षा बाहर बह जाती है। जिससे आवश्यकता के समय पानी की आपूर्ति में समस्या होती है।

संरक्षण के अभाव में हो रहे ध्वस्त

कोरोना काल के पहले जारी अभियान के दौरान तीन सौ से भी अधिक कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग तैयार किया गया था। जिसमें 150 से भी अधिक ध्वस्त हो चुके हैं। कार्यालयाें में जारी की जाने वाली मरम्मत राशि का हार्वेस्टर मरम्मत के लिए नहीं किया जाता। ध्वस्त हो चुके हार्वेस्टर में कलेक्ट्रेट के अलावा निगम के जोन कार्यालय भी शामिल है।

व्यर्थ बह जाता है बरसाती पानी

वाटर हार्वेस्टर निर्माण का मुख्य उद्देश्य बरसाती पानी को भूमिगत संरक्षण देना है। सरकारी दफ्तरों में जल स्तर को उपर लाने के अलावा निकटवर्ती क्षेत्र में पेयजल दशा में सुधार लाना है। हार्वेस्टर का निर्माण अथवा मरम्मत नहीं कराए जाने से पानी का व्यर्थ बहाव हो रहा है। सुधार की लिए जारी गाईड लाइन के दशा सुधरने की संभावना बढ़ गई है।

150 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र वाले भवनों में जरूरी

जल संरक्षण के लिए 150 वर्ग मीटर क्षेत्र वाले भवनाें में वाटर हार्वेस्टिंग लगाना जरूर है। यह नियम सरकारी के साथ निजी निर्माण के लिए लागू है। कमोबेश सरकारी कार्यालयों में निर्माण तो हो जाती है लेकिन निजी आवासों में अनुमति के अभाव में राशि जमा नहीं होता और वाटर हार्वेस्टर का भी निर्माण नहीं होता।

प्रशासनिक गाइड लाइन के अनुसार सभी कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टर का होना आवश्यक है। निर्माण कि समय प्राक्कलन में ही इसे शामिल किया जाता है। जिन कार्यालयों में हार्वेस्टर नहीं बने है, उसकी जानकारी लेकर निर्माण कराया जाएगा। समय सीमा की बैठक में इस संबंध में चर्चा भी की जाएगी।

प्रदीप साहू, अपर कलेक्टर

Posted By: Yogeshwar Sharma

    छत्तीसगढ़
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